SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पधा- ४६ षड्ढा- ६१ सप्तधा- ७३ अष्टधा- ८५ नवधा- '६७ दशधा - १०६ संख्यातधा - १२ असंख्यातधा - १३ अनंतधा १ एवं सर्व - ५७५ दश लगे - १२५ संख्याता लगे - ४६० असंख्याता लगे - ५१७ अनंता लगे --- ५७५ एवं सर्व- १६७७ भांगा थया । चउथा उद्देशा नों देश हो, आगल बात कहेस हो, आखो ढाल उदार हो, गोतम ! भिक्षु भारीमा ऋषिराय थी, 'जय जय' हरण अधार हो, गोतम ! १०५. शतक बारमानों कह्यो, चय उद्देश बाकी रह्यो, १०६. दोसो ने पचायनमों Jain Education International ढाल : २५६ पुद्गल परावर्तन पद १. पुद्गल नों जे एकठो, वे भागादिक करि तमु, कहा भेद २. बिहुं आश्री पूछे वहा मिलवं तिण हिये, परमाणु ने साहन संचालन मिलन, भेदवियोजन ३. ए बिहु नो अनुपात सगला पुद्गल द्रव्य ४. परमाणू पुद्गल तास विजोग करी पूर्व गोतम ! गोतम ! कहाय । ताय ॥ स्वाम | पाम || जे योग करीनें ताय । कहाय ॥ तमु संघात तणो, संजोगे करि थात । वली, पुद्गल द्रव्य संघात || ५. अनंत अनंता 1 ह्वं अर्थ, पुद्गल - परिवर्तन पुद्गल द्रव्य संघात जे परमाणुआ मिलन ? ६. जिन कहै हंता गोयमा ! परमाणुआ विख्यात । तास संजोग विजोग करि पुद्गल द्रव्य संघात || २- ४. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं साहणणाभेदाणुवाए 'साहणणाभेयाणुवाएणं' ति 'साहणण' त्ति..' संहननं- संघातो भेदश्व वियोजनं तपो पातो-योगः संहननभेदानुपातस्तेन सर्वपुद्गलद्रव्यैः सह परमाणूनां संयोगेन वियोगेन चेत्यर्थः । ( वृ० प०५६८ ) ५. अनंताणंता पोग्गलपरियट्टा समणुगंतव्वा भवतीति मक्खाया ? ९. ता गोयमा एएस में परमाणुपला सागणा मेदाबा For Private & Personal Use Only श० १२, उ०४, डा० २५५ ३९. www.jainelibrary.org
SR No.003620
Book TitleBhagavati Jod 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages460
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy