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________________ ८८. एवं चउक्क संयोगिया, जाव असंख संयोग हो, गोतम ! ___ ए सहु जिमहिज आखिया, असंख प्रदेश नां जोग हो, गोतम! ८८. एवं च उक्कसंजोगो जाव असंखेज्जगसंजोगो। एते सव्वे जहेव असंखेज्जमाणं भणिया। ८९. तहेव अणंताण वि भाणियध्वं । ९०. नवरं-एक्कं अणंतगं अब्भहियं भाणितब्वं । ९१. जाव अहवा एगयओ संखेज्जा संखेज्जपए सया खंधा, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ । ९२. अहवः एगयओ संखेज्जा असंखेज्जपएसिया खंधा, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ । ९३. अहवा संखेज्जा अणंतपएसिया खंधा भवंति । ८६. तिमहिज अनंत प्रदेश नां, विकल्प भणवा ताय हो, गोतम ! कांयक फेर छै इह विषे, आगल ते कहिवाय हो, गोतम ! ६०. णवरं विशेष छ एतलो, एक अनंत पद जाण हो, गोतम ! अधिको कहिवो छै इहां, हिव भंग छेहला पिछाण हो, गोतम ! ६१. यावत वा इक पास ही, संख्यात प्रदेशिया तास हो, गोतम ! संख्याता खंध हुवं अछ, अनंत प्रदेशिक इक पास हो, गोतम ! ६२. अथवा एक पासे हुवै, संख्याता सुविमास हो, गोतम ! खंध असंख प्रदेशिया, अनंत प्रदेशि इक पास हो, गोतम ! ६३. अथवा अनंत प्रदेशिया, खंध हवै संख्यात हो, गोतम ! संख्याते भागे हुवै तेहनां, ए भंग द्वादश थात हो, गोतम ! असंख्यात भाग स्यू १३ विकल्प - ६४. असंख्याते भागे करतां थकां, एक पासे हुवै तास हो, गोतम ! परमाणु असंख्याता तसु, अनंत प्रदेशिक इक पास हो, गोतम ! ६५. अथवा एक पासे तसु, द्वि प्रदेशिक खंध तास हो, गोतम ! असंख्याता हुवै अछ, अनंत प्रदेशिक इक पास हो, गोतम ! ६६. यावत एक पास तथा, असंख्याता खंध तास हो, गोतम ! संखेज प्रदेशिया हवै, अनंत प्रदेशिक इक पास हो, गोतम ! ६७. अथवा एक पासे तसु, असंख्याता सुविमास हो, गोतम ! असंख प्रदेशिक खंध ह, अनंत प्रदेशिक इस पास हो, गोतम ! १८. अथवा एक पासे तसु, असंख्याता अवलोय हो, गोतम ! ___ अनंत प्रदेशिक खंध ह्व, ए भंग तेरमों जोय हो, गोतम ! अनन्त भाग स्यूं १ विकल्प - ६६. अनंत भाग करतां थकां, अनंत परमाणु होय हो, गोतम ! अनंत भेदे हुवै तेहनों, ए इक भंगो जोय हो, गोतम ! १००. अनंत प्रदेशिया खंध नां, बे भागे भंग तेर हो, गोतम ! त्रिण भागे करतां थका, पंचवीस भंग हेर हो, गोतम ! १०१. सैतीस चउक्क संयोगिया, पंच भेदे गुणचास हो, गोतम ! षट भेदे इकसठ हुवै, सप्त भेदे तीहोत्तर तास हो, गोतम ! १०२. पच्यासी अष्ट भेदे हुवै, नव भेदे सत्ताणू होय हो, गोतम ! दश भेदे एकसौ नव हुवै, करिवा विचारी सोय हो, गोतम ! १०३. संख्याते भेदे बारै हुवं, असंख्याते भेदे तेर हो, गोतम ! अनंत भागे हुवै तेहनों, ए इक भंगो हेर हो, गोतम ! १०४. अनंत प्रदेशिया खंध नां, ए सह भांगा आख्यात हा, गोतम ! पांचसौ पिचंतर कह्या, विवरा शुद्ध विख्यात हो, गोतम ! अनंत प्रदेशिया नी स्थापना द्विधा- १३ त्रिधा- २५ चतुर्धा- ३७ ९४. असंखेज्जहा कज्जमाणे एगयओ असंखेज्जा परमाणु पोग्गला, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ । ९५. अहवा एगयओ असंखेज्जा दुपए सिया खंधा, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ। ९६. जाव अहवा एगयओ असंखेज्जा संखेज्जपएसिया खंधा, एगयओ अगंतपएसिए खंधे भवइ । ९७. अहवा एगपओ असंखेज्जा असंखेज्जपएसिया खंधा, एगयओ अगंतपएसिए खंधे भवइ । ९८. अहवा असंखेज्जा अणंतपएसिया खंधा भवति । ९९. अणंतहा कज्जमाणे अगता परमाणुपोग्गला भवंति । (श० १२।८०) १००. अनन्तप्रदेशिकस्य तु द्विधात्वे १३ त्रिधात्वे २५ । (वृ० ५० ५६६) १०१. चतुर्द्धात्वे ३७ पञ्चधात्वे ४९ षडविधत्वे ६१ सप्तधात्वे ७३। (वृ० ५० ५६६,५६७) १०२. अष्टधात्वे ८५ नवधात्वे ९७ दशधात्वे १०९ (वृ०प०५६७) १०३. संख्यातत्वे १२ असंख्यातत्वे १३ अनंतभेदकरणे त्वेक एव विकल्पः। (वृ० ५० ५६७) ३८ भगवती जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003620
Book TitleBhagavati Jod 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages460
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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