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तिण गऊसाला में जनमियो जी, तिण सू दियो गोसालो नाम । ते बालभाव मूक्यां पछै जी, जोवन प्रापत हवो ताम हो।।६।। कला चतराई परगट हुई जी, पाटीए चित्र्या रूप अनेक । ते पिण हाथे लियां फिर जी, करै पेटभराई विशेष हो ।।७।। हं तीस बरस घर में रह्यो जी, पछै लीधो मैं संजम हुलास । पख-पख खमण करतो पारणो जी, अठी-गाम कियो चौमास हो ।।८। बीजे वरस मास-मास पारणो जी, हूं करतो थो एकण धार । हं नगरी राजगही आवियो जी, नालंदा पाड़ा मझार हो ।।६।। तिण नालंदा पाड़ा मझे जी, तंतूवाय-साला थी तिण मांय । तिहां आग्या लेई हूं ऊतरचो जो, तिण में दियो चौमासो ठाय हो ।।१०।। गोसालो पिण तिण अवसरे जी, तंतूवाय-साला में आय । एक देस में उपगरण मेलने जी, गयो राजग्रही नै माय हो ।।११।। कठ जायगां न मिली तेहनै जी, जब पाछो आयो तिण ठाम। तंतवाय-साला रा एक देस में जी, ओ पिण रह्यो चौमासो ताम हो ।।१२।। पहिला मासखमण रो म्हारै पारणो जी, जब लेवा नै उठ्यो आहार। तंतवाय-साला थी बारै नोकल्यो जी, आयो राजग्रही नगर मझार हो ॥१३।।
दूहा हं राजग्रही नगरी मझे, करतो सुध गवेस । विज गाथापती तेहनां, घर में कियो परवेस ।।१।। तिण मोनै आवतो देखन, घणों हरष हवो मन मांहि । वले संतोष पाम्यो अति घणों, वले भगत विनो कियो ताहि ।।२।।
ढाल : ४
[वीर बखाणी राणी चेलणा जी]
तिण आसण छोड्यो उतावलो जी, वले उभो हवो मान मरोड़। वले कियो उतरासंग जुगत सूं जी, वले अंजली कीधी कर जोड़।
साधजी भलाई पधारिया जी ।।१।। आं० सात-आठ पग साहमो आयनै जी, लुल-लुल नीचो जी थाय । तीन परदिषणा दै मो भणी जी, वंदणा कीधी सोस नमाय ॥२॥ आज मांहरी रै जागी दशा जी, पूगी म्हारा मन तणो कोड़। आज भलो भाण ऊगियो जी, आज भाग कियो म्हारै जोर ॥३।। आज करतारथ हूं थयो जी, मुनिवर आया म्हारै बार। ज्यांरै पुरषां तणी चावना जी, त्यांरो म्है दीठो दीदार ॥४॥
३८६ भगवती जोड़
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