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१२. जस्स णं भंते ! दवियाया तस्य कसायाया ? जस्स
कसायाया तस्स दवियाया? १३. गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स कसायाया सिय अस्थि
सिय नत्थि। 'स्यादस्ति' कदाचिदस्ति सकषायावस्थायां 'स्यान्नास्ति' कदाचिन्नास्ति क्षीणोपशान्तकषायावस्थायां।
(वृ०प०५८९)
१५. जस्स पुण कसायाया तस्स दवियाया नियमं अस्थि ।
(श० १२।२०१)
द्रव्य आत्मा का शेष सात आत्मा के साथ अस्तित्व
*रूड़े स्वाम उचारै रे, आत्मा प्रश्न उदारं॥ [ध्रुपदं] १२. द्रव्य आत्मा जेहने छै प्रभुजी ! कषाय आत्मा छ तेहनैं ।
जेहने कषाय आत्मा छै प्रभुजी! द्रव्य आत्मा छै तेहने ? १३.जिन कहै जेहने द्रव्य आत्मा छै, तास कषाय नी भयणा। हवै कदाच न हुवै किवार, वारू न्याय सुवयणा॥
___ सोरठा १४. द्रव्य सर्व में पाय, धुर गुण' थी सिद्धां लगे ।
दशमां लगै कषाय, आगल नहिं भजनाज इम।। १५. *कषाय आत्म छ जेह जीव ने, द्रव्य आत्म जे तास । निश्चैई करिनै छै जेहनें, ए नियमा सुविमासं ॥
सोरठा १६. दशमां लगे कषाय, द्रव्य सर्व जीवां मझे।
नियमा इम कहिवाय, कषाय त्यां निश्चेज द्रव्य ।। १७. *हे प्रभ! जेहने द्रव्य आत्म छै, जोग आत्म तस होय ।
जेहन जोग आत्म छै तेहन, द्रव्य आत्म छ सोय ? १८. जिन कहै द्रव्य आत्म छै जेहनें, जोग नी भजना जाणी। जेहन जोग आत्म तसु द्रव्य नी, नियमा निश्चै माणी।
सोरठा १६. द्रव्य सर्व में पाय, जोग तेरम गुणठाण लग।
तिण कारण कहिवाय, द्रव्य त्यां भजना जोग नीं॥ २०. जोग तेरम लग होय, द्रव्य सिद्ध संसारी मझे।
जोग तिहां इम जोय, नियमा द्रव्य तणी कही।। २१. 'हे प्रभ ! जेहने द्रव्य आत्म छै, उपयोग आत्मज तासं?
सर्व पदे इम प्रश्न मांहोमां, जिन उत्तर दै जासं ॥ २२. जेहने द्रव्य तास उपयोग नी नियमा निश्चै कहिये । जसु उपयोग आत्म तसु द्रव्य नीं, ए पिण नियमा लहिये ।।
सोरठा २३. संसारी सर्व जीव, वलि सिद्धां में पामियै।
आतम द्रव्य सदीव, उपयोग दर्शण पिण लहै। २४. *जेहनै द्रव्य तास ज्ञानात्मज, भजनाए करि भणवो।
ज्ञान आत्म छै तास द्रव्य नी नियमा निश्चै गुणवो।।
१७. जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स जोगाया ? जस्स
जोगाया तस्स दवियाया? १८. गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स जोगाया सिय अत्थि
सिय नत्यि, जस्स पुण जोगाया तस्स दवियाया नियम अस्थि ।
(श० १२।२०२)
२१. जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स उवओगाया? ....
एवं सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा। २२. गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स उवओगाया नियम
अत्थि । जस्स वि उवओगाया तस्स वि दवियाया नियम अत्थि ।
२४. जस्स दवियाया तस्स नाणाया भयणाए। नस्स पुण
नाणाया तस्स दवियाया नियम अस्थि ।
*लय : रूडै चन्द निहाले रे १. गुणस्थान
१०४ भगवती जोड़
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