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________________ ११३. अथवा एक धूम एक तमा, तीन तमतमा तेह। अथवा एक धूम दोय तमा, दोय तमतमा लेह ॥ ११४. अथवा दोय धम एक तमा, दोय तमतमा देख । अथवा एक धूम त्रिण तमा, एक तमतमा लेख । ११५. अथवा दोय धम दोय तमा, एक तमतमा माय । अथवा त्रिण धूम एक तमा, एक तमतमा पाय ॥ एवं पंच जीव रा त्रिकसंजोगिया रत्न थी ६०, सक्कर थी ६० वालुका थी ३६, पंक थी १८, धूप थी ६, एवं सर्व २१० भांगा कह्या। ११६. पनर रत्न थी सक्कर थी दश, षट वालु थी जगीस। पंक थकी त्रिण धूम थकी इक, एवं भंग पणतीस ।। ११७. पंच जीव नां त्रिकसंजोगिक, षट विकल्प करि एह। दोयसौ नै दश भांगा दाख्या, निपुण विचारी लेह । हिवै पांच जीव नां त्रिकसंयोगिया विकल्प छप्पय ११८. एक एक नैं तीन, प्रथम विकल्प पहिचानो। एक दोय नैं दोय, द्वितीय विकल्प दिल आनो। दोय एक नैं दोय, ततीय विकल्प तहतीको। एक तीन नैं एक, तुर्य विकल्प ए नीको । फुन दोय दोय नै एक, इम पंचम एह प्रयोगिका । त्रिण एक एक षष्टम कह्य, पंच जीव त्रिकयोगिका। ११८. पञ्चानां च त्रित्वेन स्थापने षड् विकल्पास्तद्यथा ---एक एकस्त्रयश्च, एको हो द्वो च, द्वावेको द्वौ च, एकस्त्रय एकश्च, द्वौ द्वावेकश्च, त्रय एक एकश्चेति । (वृ०प०४४४) पांच जीव रा त्रिकसंजोगिया तेहनां विकल्प छह मांगा दोय सौ दश। रत्न थी १५, सक्कर थी १०, वालु थी ६, पंक थी ३, धूम थी १, एवं ३५ ते छह विकल्प कर दोय सौ दस भांगा हुवे । एक-एक विकल्प ना रत्न थी १५ ते किसा? रत्न सक्कर थी ५, रत्न वालु थी ४, रत्न पंक थी ३, रत्न धूम थी २ रत्न तम थी १ एवं १५, छह विकल्प कर ६०। हिवं रत्न सक्कर थी पांच भांगा प्रथम विकल्प करि कहै छ..... स वा पं धू त तम WIU K श०६,उ०३२, ढाल १७८ ८१ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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