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________________ ४०. अथवा एक रत्न त्रिण सक्कर, एक तमतमा देख । चोथो विकल्प रत्न सक्कर सूं, पंच भंगा इम लेख ।। पांचवें विकल्प करि ५ भांगा ४१. अथवा दोय रत्न दो सक्कर, एक वालुका जंत । अथवा दोय रत्न बे सक्कर, एक पंक में हुंत ॥ ४२. अथवा दोय रत्न दो सक्कर, एक धूम अवसोय । अथवा दोय रत्न बे सक्कर, जीव एक तम जोय ॥ ४३. अथवा दोय रत्न दो सक्कर, एक तमतमा आय । पंचम विकल्प रत्न सक्कर थी, भंग पंच इम थाय ॥ छठ विकल्प करि ५ भांगा — ४४. अथवा तीन रत्न इक सक्कर, एक वालु आख्यात | अथवा तीन रत्न एक सक्कर, एक पंक दुख पात ॥ ४५. अथवा तीन रत्न एक सक्कर, एक धूम में जान । अथवा तीन रत्न एक सक्कर, एक तमा अघखान ॥ ४६. अथवा तीन रत्न एक सक्कर, एक तमतमा गेह । छ विकल्प रत्न सक्कर थी, भंग पंच इम लेह ॥ हिवै रत्न वालु थकी च्यार भांगा हुवै, ते छह विकल्प करि २४ भांगा हुवं । प्रथम विकल्प करि ४ भांगा ४७. अथवा एक रत्न एक वालुक, तीन पंक पहिछाण जाव तथा एक रत्न वालु इक, तीन तमतमा जान ॥ दूजै विकल्प करि ४ भांगा ४८. अथवा एक रत्न बे वालुक, दोय पंक में देख । जाव तथा एक रत्न वालु बे, दोय तुमतमा पेख ॥ तीजे विकल्प करि भांगा ४६. अथवा दोय रत्न इक वालु, दोय पंक दुख पाय । जाव तथा बे रत्न वालु इक, दोय तमतमा मांय ॥ चउथे विकल्प करि ४ भांगा ५०. अथवा एक रत्न त्रिण वालुक, एक पंक रै मांय । जाव तथा इक रत्न वालु त्रिण, एक सप्तमी पाय ॥ पांचवें विकल्प करि ४ भांगा ५१. अथवा दोय रत्न दोय वालुक, एक पंक अवलोय ॥ जाव तथा वे रत्न वालु बे, एक सप्तमी होय ॥ छठें विकल्प करि ४ भांगा ५२. अथवा तीन रत्न एक वालुक, एक पंक दुखखान । जाव तथा त्रिण रत्न वालु इक, एक तमतमा जान ॥ हि रत्न पंक थी त्रिण भांगा हुवै, ते छह विकल्प करि १८ भांगा कहै $1 Jain Education International ४१-४३. अहवा दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव असत्तमाए । ४४-४६. अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा तिणि रणभाए एगे सस्करणपनाए एने असमाए होज्जा | ४७-११५. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए तिष्णि पंकप्पभाए होज्जा एवं एएणं कमेणं जहा उन्हं तियासंजोगो भणितो वहा पंचन्ह विवियासजोगो भागियो, नव-तथा एमो संचारिज, इह दोणि, सेसं तं चैव जाव अहवा तिण्णि धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । For Private & Personal Use Only श० ६, उ० ३२, ढाल १७८ ७५ www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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