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________________ प्रथम विकल्प करि ३ भांगा५३. अथवा एक रत्न इक पंके, तीन धूमका हुंत । जाव तथा इक रत्न पंक इक, तीन तमतमा जंत ।। दूजै विकल्प करि ३ भांगा५४. अथवा एक रत्न बे पंके, दोय धूमका देख । जाव तथा इक रत्न पंक बे, दोय सप्तमी लेख । तीजै विकल्प करि ३ भांगा५५. अथवा दोय रत्न इक पंके, दोय धूमका स्थान । जाव तथा बे रत्न पंक इक, दोय सप्तमी जान ।। चौथ विकल्प करि ३ भांगा५६. अथवा एक रत्न त्रिण पंके, एक धूमका हुंत । जाव तथा इक रत्न पंक त्रिण, एक सप्तमी जंत ।। पांचवें विकल्प करि ३ भांगा५७. अथवा दोय रत्न दोय पंके, एक धूमका मांय । जाव तथा बे रत्न पंक बे, एक तमतमा जाय ॥ छ विकल्प करि ३ भांगा५८. अथवा तीन रत्न इक पंके, एक धूमका होय । जाव तथा त्रिण रत्न पंक इक, एक सप्तमी सोय ॥ हिवै रत्न धूम थी दोय भांगा ६ विकल्प करि १२ भांगा कहै छ प्रथम विकल्प करि २ भांगा-५६. अथवा एक रत्न इक धूमा, तीन तमा उपजत । अथवा एक रत्न इक धूमा, तीन तमतमा हुँत ।। दूजे विकल्प करि २ भांगा६०. अथवा एक रत्न बे धूमा, दोय तमा रै माय । अथवा एक रत्न बे धूमा, दोय तमतमा जाय ।। तीजै विकल्प करि २ भांगा६१. अथवा दोय रत्न इक धूमा, दोय तमा दुख पाय । अथवा दोय रत्न एक धूमा, दोय तमतमा मांय ।। चउथ विकल्प करि २ भांगा६२. अथवा एक रत्न त्रिण धूमा, एक तमा दुखखान । अथवा एक रत्न त्रिण धूमा, एक तमतमा जान ।। पांचवें विकल्प करि ३ भांगा६३. अथवा दोय रत्न दोय धमा, एक तमा आख्यात । अथवा दोय रत्न दोय धूमा, एक तमतमा जात ।। छठ विकल्प करि २ भांगा६४. अथवा तीन रत्न इक धूमा, एक तमा अघस्थान । अथवा तीन रत्न इक धूमा, एक सप्तमी जान ।। ७६ भगवती-जोड़, Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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