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________________ १०७. वालु पंक थी तीन ते इम, दोष भांगा हुवे ने इक १०८. ए तीन भांगा वालु पंक थी, ए च्यार भांगा वालु थी ह्व, १०२. पंक थी इक भंग होने चक्कसंजोगिया भांगा ११०. तीन नरक नो नाम लेई, एहषी भंग केतला तसु ? १११. नरक बाकी रहे जेती वालु पंक ने धूम थी। बालु पंक ने तम हुंती ॥ एक वालू धूम थी। न्याय अक्ष संचरण थी । पर ए पणतीस ही कीजिये बुद्धि प्रवर थी । भंग जो पूछीजिये। जाब इहविष दीजिये ॥ तेता भंग कहीजिये । एम उत्तर दीजिये || त्रिहं थी भंग केला ? दीजिये इहविध भला ॥ नरक चिह्न बाकी रही। वालु थी चिहुं हुं सही ॥ केला होवे सही ? नरक बाकी त्रिण भंग, केतला होवे नरक बाकी वे भंग रही ॥ सही ? एह थी भंग एतला हूं ११२ रन सक्कर वालु स्यूं मिल, एम पूछयां तास उत्तर ११२. पंक धूम तम सातम ए ते भणी जे रत्न सक्कर ११४ रन सक्कर पंक थी तीन भांगा एहथी ह्व, ११५. रत्न सक्कर धूम थी दो भांगा एथी, ११६. रत्न वालू तम थकी भंग, केतला होवै 7 एक भांगो एहथी सं ११७. सवकर बालू पंक सेती, सक्कर वालू धूम थी बे, ११. वालु पंक में धूम सेती, दोय भांगा एहबी हूं ११. वालु पंक ने तमा सेती, एक भांगो एहथी है, १२० बालु धूम में तमा सेती, एक भांगो हथी, १२१. पंक 'धूम नैं तमा सेती, नरक बाकी इक रही छे, १२२. इम नरक त्रिण तणो नाम ले, नरक बाकी रहे जितरी भंग Jain Education International रही ॥ सही ? नरक बाकी इक रही ॥ तीन भांगा हूँ सही। नरक बाकी वे रही ।। भंग केता हूं सही ? नरक बाकी वे रही ॥ भंग केला हूं नरक बाकी इक भंग केला नरक बाकी इक एक भांगो सही । पणतीसमों ए भंग ही ॥ पूछियां भंग जेहथी । तेता तेह थी । सही ? रहो । सही? रही ॥ कोई पूछे - रत्न, सक्कर, वालू सेंमिल थी कितरा भांगा हुवे ? तेहनों उत्तर---पंक, धूम, तम, तमतमाए ४ नरक बाकी रही, ते भणी रत्न सक्कर वालु मिल थी ४ भांगा हुवै। कोई पूछ सक्कर वालु पंक थी किता भांगा हुवै ? उत्तरएहथी तीन हुवै, धूम, तम, सातमी - ए ३ बाकी रही ते मार्ट । कोई पूछ वालू पंक धूम थी किता हु ? उत्तर - दो भांगा हुवै, तमा अने सातमी - ए बे बाकी रही ते माटै । कोई पूछँ वालु पंक ने तम थी किता भांगा हुवै ? उत्तर- एक भांगो हुवै, एक सातमीं रही ते माटै । कोई पूछे वालु धूम तम थी किता भांगा हु ? उत्तरएक भांगो हु, एक सातमी बाकी रही ते माटै । इम तीन नरक भेली कर पूछ्यां ए आमना जाणवी । ६६ भगवती जोड़ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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