________________
हि दोय नरक भेली कर ने पूछें ते कहै छै- इम चउक्कसंजोगिया में तो तीन नरक रो नाम लेई पूछयां लारं नरक रहे जिता भांगा कैहणा ।
भंग जो पूछीजिये । जाब तसु इम दीजिये || छठी नरक लगे सही । हवे ते गिनवा वही ।। गिणी संख्या कीजिये ।
बे नरक थी तेतला भंग, एम उत्तर दीजिये ॥ भंग होवं केतला ? दीजिये इविष भला ॥ धूम से इक तम थकी सक्कर थी दश नकी ॥ भंग कितरा एहथी ? रही बाकी तेहथी । एक तम थी आणियै ॥ थकी षट भंग जाणियै ॥
१२३. दो नरक नों नाम लेई, हथी भंग केतला ? १२४. नरक बाकी रहै जेती,
जेह नरक थी भंग जितरा, १२५ तेह भंगा एकठा करि
१२६. रत्न सक्कर बेहुं मेल्यां, एम पूछो तास उत्तर १२७. वालुथी चिडं पंक थी त्रिण, हवे ए दस भंग तिणसं, रत्न १२८. रत्न बालू बेहं मिलियां,
सातमी विण नरक तीनज, १२६. पंक थी त्रिण धूम थी बे,
ते भभी ए रत्न वालू
१३०. सक्कर नैं पंक बेहुं मिलियां, भंग कितरा एहथी ? सातमी विण नरक दोयज, रही बाकी तेहथी । १३१. धूम भी वे एक तम थी, तीन भंग तेहथी। ते भणी ए सहु सक्कर पंक थकीज त्रिण भंग एहथी । १३२. वालु पंक थी भंग कितरा ? तीन भांगा व धूम थी बे तम थकी इक, एम तीन लहै सही ॥ १३३. वालु धूम थी भंग कितरा ? एक तम बाकी रहै । तेह्नों भंग एक तिणसूं, वालु धूम भी इक लहै । १३४. इस नरक वे मेल पूछयां, सप्तमीं विण जे रहे।
सही ।
तेहनां भंग गिणी जेता, बिहुं नरक थकी लहै ॥ १३५. उसंजोगिक भंग पैतीस आमना ए तेह तणी।
इहां आखी चतुर साखी, निपुण बुद्धिवंत नर भणी ॥
उत्तर
कोई पूछँ ४ संजोगिया भांगा में रत्न सक्कर थी किता भांगा हुवै ? तेहनों -१० हुवं । तेहनों न्याय कहै छै-रत्न सक्कर वालु थी ४, रत्न सक्कर पंक थी ३, रत्न सक्कर धूम थी २, रत्न सक्कर तम थी १ एवं दश भांगा इम छै, ते मार्ट रत्न सक्कर थी १० हुवे । इहां एक सातमी नरक थी भांगा न हुवै ते मार्ट छेहली सातमीं नरक न लेखवणी ।
कोई पूछें रत्न वालु थी किता भांगा हु ? उत्तर - रत्न वालु सहित पंक थी ३, धूम थी २, तम थी १ - एवं ६ भांगा रत्न वालु थी हुवे । इहां पिण सातमी न गिणी |
कोई पूछे रत्न पंक थी किता भांगा हुवै ? उत्तर- - रत्न पंक सहित धूम थी२, तम थी १ - एवं तीन भांगा हुवै ।
कोई पूछे वालु पंक थी किता भांगा हुवै ? उत्तर - रत्न वालु सहित धूम थी बे भांगा हुवै छँ, अनं तम थी १ भांगो हुवै छं, ते माटै वालु पंक थी ३ भांगा
हुवे ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
श० ६, उ० ३२, ढाल १७७
६७
www.jainelibrary.org