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हिव वालु पंक तम थी एक भांगो कहै छै ---
ए वालु पंक तम थी १ भांगो कहो। एवं वालु पंक थी ३
भांगा थया। हिवं वालु धूम तम थी एक भांगो कहै छै ---
ए वालु धूम तम थी एक भांगो कह्यो । एवं वालु थी ४ मांगा
थया। हिवं पंक थी १ भांगो कहै छै --
ए पंक थी एक भांगो कह्यो । एवं ४ जीवां रा चउक्कसंजोगिया ... रत्न थी २०, सक्कर थी १०, वालु थी ४, पंक थी १, एवं सर्व ३५ । एतले च्यार जीव रा इकसंजोगिया ७, द्विकसंजोगिया ६३, त्रिकसंजोगिया १०५, चउक्कसंजोगिया ३५ सर्व २१० भांगा जाणवा। वलि विशेष चउक्कसंजोगिया नों
आमना कहै छ
गीतक-छंद १७. वीस रत्न थो सक्कर थी दश, च्यार वाल थी सही ।
पंक थी इक चउक्कयोगिक, भंग ए पणतीस ही। १८. वीस रत्न थी तेह इहविध, सक्कर थी दश जाणिय ।
वालु थी षट पंक थी त्रिण, धूम थी इक आणिय ।। १६. रत्न सक्कर थको दश इम, बे सहित वाल थी चिहुँ ।
रत्न सक्कर पंक थी त्रिण, भंग भणवा इह विधउ ।। १००. रत्न सक्कर धूम थी बे, रत्न सक्कर तम थकी।
एक भांगो हुवै इम दश, रत्न सक्कर थी नकी ।। १०१. रत्न वालू थकी षट इम, रत्न वालू पंक थी।
तीन भांगा कीजिये सुध, अक्ष न्याय अवंक थी। १०२. रत्न वाल धूम थी बे, रत्न वालू तम हुंती।
एक भांगो हुवै इम षट, रत्न वाल नरक थी। १०३. रत्न पंक थी तीन भंग इम, रत्न पंक नै धूम थी।
दोय भांगा हवं ने इक, रत्न पंक में तम हंती ।। १०४. रत्न पंक थी तोन आख्या, हिवे रत्न ने धूम थी।
एक भांगो हुवै इम ए, बीस भांगा रत्न थी। १०५. सक्कर थी दश हुवै इहविध, षट सक्कर वाल हुंती।
पंक थी त्रिण धूम थी बे, एक तमा नरक थी। १०६. वालु थी भंग च्यार ते इम, वाल पंक थकी बिहुँ ।
एक वाल धुम थी ए, भग वाल थी चिहं ।।
श० ६, उ० ३२, ढाल १७७ ६५
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