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८१. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए
एगे अहेसत्तमाए होज्जा
८२. अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंक
प्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा। ८३-६१. एवं जहा रयणप्पभाए उवरिमाओ पुढवीओ चारि
याओ तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाओ चारियब्वाओ जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ।
हि रत्न धूम थी एक भांगो कहै छ८१. अथवा एक रत्न इक धूमा, एक तमा अघखानी ।
एक सातमी माही उपजै, भंग वीसमो जानी ।।
एवं रन थी २० भांगा कह्या । हिवं सक्कर थी १० भांगा, तिणरो विवरो-सक्कर वालु थकी ६, सक्कर पंक थकी ३, सक्कर धूम थकी १,-- एवं १० भांगा सक्कर थी हुवै । तिणमें सक्कर वालु थकी ६ तिणरो विवरो-सक्कर वालु पंक थकी ३, सक्कर वालु धूम थकी २, सक्कर वालु तम थकी १ एवं ६ भांगा सक्कर वालु थकी हुवै । अने सक्कर पंक थकी ३ भांगा हुवै, तिणरो विवरो-- सक्कर पंक धूम थकी २, सक्कर पंक तम थकी १-- एवं सक्कर पंक थकी ३ भांगा हुदै । अने सक्कर धूम थकी १ भांगो हुदै । इम सक्कर थकी १० भांगा थाय । तिहां सक्कर गलु थकी ६ भांगा, ते किसा? सक्कर वालु पंक थकी ३ भांगा ते प्रथम गाथा करी कहै छ८२. अथवा इक सक्कर इक वालु, एक पंक में जानी।
इक जीव धूमप्रभा में उपजै, इकवीसम भंग आनी ॥ ८३. अथवा एक सक्कर इक वाल, एक पंक में जानी।
एक तमा रै मांहि ऊपजै, बावीसम भंग आनी ॥ ८४. अथवा एक सक्कर इक वाल, एक पंक में जानी।
एक तमतमा मांहि ऊपजै, तेवीसम भंग ठानी।
हि सक्कर वालु धूम थकी दोय भांगा कहै छै८५. अथवा एक सक्कर इक वालु, एक धूम दुखखानी।
एक तमा रै मांहि ऊपजै, चउवीसम भंग जानी॥ ८६. अथवा एक सक्कर इक वालु, एक धूम अघखानी।
एक तमतमा मांहि ऊपजै, पणवीसम भंग जानी ।।
हिवै सक्कर वालु तम थी एक भांगो कहै छ५७. अथवा एक सक्कर इक वाल, एक तमा अघखानी।
एक तमतमा मांहि ऊपजै, छव्वीसम भंग जानी ।। हिव सक्कर पंक थी तीन भांगा, तिणमें सक्कर पंक धूम थी दोय भांगा
कहै छै८८. अथवा एक सक्कर इक पंके, एक धूम में जानी।
एक तमा रै मांहि ऊपजै, सप्तवीसमों ठानी। ८६. अथवा एक सक्कर इक पंके, एक धम में जानी।
एक तमतमा मांहि ऊपजै, अष्टवीसमों ठानी।।
हिवै सक्कर पंक तम थकी एक भांगो कहै छ१०. अथवा एक सक्कर इक पंके, एक तमा में जानी।
एक तमतमा मांहि ऊपजै, गुणतीसम भंग ठानी ॥
हिवै सक्कर धूम थी एक भांगो कहै छै६१. अथवा एक सक्कर इक धूमा, एक तमा में जानी।
एक तमतमा मांहि ऊपजै, भंग तीसमो ठानी ॥
ए सक्कर थी १० भांगा कह्या । हिवं वालु थी ४ भांगा कहै छ, तिणरो विवरो- वालु पंक थी ३, वालु धूम थी १-- एवं वालु थी ४ । वालु पंक थी ३
६२ भगवती-जोड़
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