________________
हिवे धूम तम थी एक भांगो प्रथम विकल्प करि कहै छ -
हिवं धूम तम थी एक भांगो दूजे विकल्प करि कहै छ --
हिवं धूम तम थी एक भांगो तीजै विकल्प करि कहै छ ..
१०५
१
०
०
०
०
ए धूम तम थी त्रिण विकल्प करि तीन भांगा कह्या । एवं रत्न थी ४५, सक्कर थी ३०, वालु थी १८, पंक थी , धूम थी ३ एवं सर्व १०५ च्यार जीवां रा त्रिकसंजोगिया भांगा
वा०-चतुष्कसंयोगे तु पञ्चविंशदिति। (वृ०प० ४४२)
. वा०-हिवं च्यार जीव नां चउक्कसंजोगिया तेहनों विकल्प एक, भांगा ३५ हवे, ते कहै छ-रत्न थकी २०, सक्कर थकी १०, वालु थकी ४, पंक थकी १एवं ३५ भांगा। हिवै रत्न थकी २० भांगा हुदै, तिणरो विवरो-रत्न सक्कर थकी १०, रत्न वालु थकी ६, रत्न पंक थकी ३, रत्न धूम थकी १--एवं रत्न थकी २० भांगा। तिण में रन सक्कर थकी १० हुदै, तिणरो विवरो-रत्न सक्कर बालु थकी४. रत्न सककर पंक थकी ३, रत्न सक्कर धूम थकी २. रत्न सक्कर तम थकी १...एवं १० रत्न सक्कर थकी हुवै । अनै रत्न वालु थकी ६ भांगा हब, तिणरो विवरो-रल वालु पंक थ की ३, रत्न वालु धूम थकी २, रत्न वालु तम थकी-एवं रत्न वालु थकी ६ भांगा हुवै । हिवै रत्न पंक थकी ३ भांगा हवे, तिणरो विवरो-रत्न धूम थकी २, रत्न तम थकी १-एवं रत्न पंक थकी ३ भांगा हवै। हिवै रत्न धूम थकी १ भौगो हुवै इम रत्न थकी २० भांगा थाय । तिण में रत्न सक्कर थकी १० हुवे, तिणरो विवरो कहै छै-रत्न सक्कर थकी १०.. भांगा, ते किसा? रत्न सक्कर वालु थकी च्यार भांगा हुवै, ते गाथा करी प्रथम
वदै जिनवानी रे, विदै जिनवानी रे, गंगेय तणां ए प्रश्न परम पहिछानी रे।
वदै जिनवानी रे, जिन उत्तर आपै सरस सुधारस जानी रे ।। . ६२. अथवा एक रत्न इक सक्कर, एक बालका जानी।
इक जीव पंकप्रभा में उपजै, भांगो प्रथम पिछानी ।। ६३. अथवा एक रत्न इक सक्कर, एक वालका ठानी।
इक जीव धूमप्रभा में उपजै, द्वितीय भंग इम आनी ॥ . ६४. अथवा एक रत्न इक सक्कर, एक वालका मानी।
एक तमा रै मांही उपजै, तृतीय भंग विधानी ।। ६५. अथवा एक रत्न इक सक्कर, एक वालका कानी ।
एक तमतमा मांही उपजै, तूर्य भंग आख्यानी॥ हिव रत्न सक्कर पंक थी तीन भांगा कहै छ.....
६२. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वाल
यप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा,.. ६३. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे बालु
यप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, ६४. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालु
यप्पभाए एगे तमाए होज्जा। .. ६५. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वाल
यप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा,
६०: भगबती-जोड़ .
..
www.jainelibrary.org.
For Private & Personal Use Only
Jain Education Intemational