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________________ ८४. गंगेया ! गंगेया! , वालुय रसे । अष्टादशे || तथा सक्कर में एक, एक वालुय मही । एक पंक में पेख, भंग सोलम सही ॥ ८५. गंगेया ! तथा सक्कर में एक, एक वालुय विषे । गंगेया! एक धूम में देख भंग सतरम असे ॥ ८६. गंगेया ! तथा सक्कर में एक, एक गंगेया! एक तमा सुविशेख, भंग गंगेया ! तथा सक्कर में एक, एक गंगेया! एक तमतमा देख, भंग हिये सक्कर पंक थी तीन भांगा कहे छे ८८. गंगेया ! तथा सक्कर में एक, एक गंगेया! एक धूम सुविशेख, भंग वीसम का ॥ ८६. गंगेया ! तथा सक्कर में एक, एक वलि पंक में । गंगेया ! एक तमा संपेख, भंग भंग इकवीसमें ॥ ६०. गंगेया ! तथा सक्कर में एक, एक वलि पंक में । गंगेया! एक तमतमा पेख, भंग बावीस में ।। हिवै सक्कर धूम थी दो भांगा कहै छै पंके रह्यौं । ८७. वालुय भमें 1 उगणीस में || ६१. गंगेया ! तथा सक्कर में एक, एक गंगेया ! एक तमा सुविशेख, भंग ६२. गंगेया ! तथा सक्कर में एक, एक गंगेया ! एक तमतमा पेख, भंग हिवै सक्कर तम थी एक भांगो कहै छै ९३. गंगेया ! तथा सक्कर में एक, एक तमा भमे । गंगेया ! एक तमतमा पेख, भंग पणवीस में || ६४. गंगेया ! तथा वालु में एक, एक वलि पंक में । गंगेया ! एक धूम में पेख, भंग छवीस में || १५. गंगेया ! तथा वालुव में एक एक बलि पंक में गंगेया ! एक तमा सुविशेख, सतावीस अंक में ॥ ९६. गंगेया ! तथा वालुका एक एक वलि पंक में । गंगेया ! एक तमतमा देख, अठावीस अंक में ॥ हिरे वालुय धूम थी दो भांगा कहे १७. गंगेवा! तथा वालुका एक एक वलि धूम में। गंगेया! एक तमा दुख देख, भंग गुणतीस में ॥ ८. गंगेया तथा वालुका एक एक बलि धूम में गंगेया ! एक तमतमा पेख, भंग ए तीसमें ॥ हिवै वालु तम थी एक भांगो कहै छै - । वलि धूम में । तेवीस में ॥ वलि धूम में । चउवीस में || Jain Education International 1 ६६. गंगेया ! तथा वालुका एक एक तमा भनें । गंगेया ! एक तमतमा पेख, भंग इकतीस में || हिवै पंक थी तीन भांगा तिणमें कहै छै - प्रथम पंक थी दो भांगा ८४. अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा । ८५. अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा | ८६,८७. जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा । ८८. अहवा एगे सक्करव्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा । ८०. जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे असत्तमाए होना । ६१. अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होना २२. अहवा एमे समकरप्पभाए एगे धूमप्यभाए एहे सत्तमाए होज्जा ९३. अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होन्ना । ४. अहवा गेवालुपभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा ६५. अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होन्ना ६. अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकष्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ७. अहवाएंगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होन्ना १८. अहवा एभाए एवे भूमध्यभाए एगे अस माए होज्जा RE. अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा । For Private & Personal Use Only २०६, उ० ३२, ढाल १७६ ४५ www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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