________________
१००. गंगेया! तथा पंक में एक, एक वलि धूम में।
१००. अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए __ गंगेया ! एक तमा सुविशेख, भंग बतीसमें ॥
होज्जा १०१. गंगेया! तथा पंक में एक, एक वलि धूम में।
१०१ अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए गंगेया! एक तमतमा देख, भंग तैतीसमें ।
होज्जा हिवै पंक तमा थी एक भांगो कहै छै१०२. गंगेया ! तथा पंक में एक, एक छट्ठी तमा।
१०२ अहवा एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए गंगेया! एक तमतमा पेख, भंग चउतीसमा ।
होज्जा हिवै धूम थी एक भांगो कहै छै१०३. गंगेया! एक धम में पेख, एक तमा भमे ।
१०३. अहवा एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए गंगेया! एक तमतमा देख, भंग पैंतीसमें ।।
होज्जा।
(श० ६६०) १०४. गंगेया ! तीन जीव नां त्रिक-संजोगिक ए कह्या ।
गंगेया ! विकल्प तेहनों एक, भंग पैंत्रिस लह्या ।।
३५ भांगा कहै छै। तिणमें रत्नप्रभा थी १५, सक्कर थी १०, वालुका थी ६, पंक थी ३, धूम थी १-एवं ३५ ।
हिवं रत्न सक्कर थी ५ भांगा कहै ?
रत्न वालु थी ४ भांगा कहै छै
हिवं रत्न पंक थी तीन भांगा कहै छ
Jain Education International
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org