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२४. एक-एक देवी रूप विकुर्वे, इक इक सहस्र सुंदर सिणगार । शेष चमर लोकपाल तणी पर परिवार पिण इमहीज विचार || २५. वरं काला नामे राजधानी है, काल सिहासण शेषं तं चेव । इमहिज महाकाल पिण कहिवो बे इंद्र एह पिसाच नां भेव ।। २६. भूतेन्द्र नाम सुरूप दक्षिण नो, प्रश्न तो उत्तर महिषी च्यार । रूपवती बहुरूपा सुरूपा सुभगा ए चिहुं रूप
उदार ॥
२७. एक-एक देवी नो कहिये, इक इक देवी सहस्र परिवार। शेष ज्यूं काल पिशाच इन्द्रवत, इम प्रतिरूप तणों विस्तार ॥ २८. पूर्णभद्र यक्षेन्द्र नीं पूछा, उत्तर अग्रमहीषी च्यार । पूर्णा बहुपुत्रिका ने उत्तमा, तारका ए चिहुं रूप उदार ॥
२९. एक एक देवी रूप विकुर्वे, इक इक एवं माणभद्र इंद्र उत्तर नों, वे इंद्र ३०. राक्षस इंद्र दक्षिण नां भीम नें, प्रश्न नों उत्तर महिषी च्यार । पद्मा पदमावती' कनका रत्नप्रभा, इक इक देवी सहस्र परिवार ||
सहस्र शेष काल जैम । जक्ष तणां नित्य क्षेम ॥
३१. शेष काल जिम वर्णन कहिवो, महाभीम उत्तर नों एम । प्यार सुरी सहस्र सहस्र परिवारे ए राक्षस नां दोष इंद्र सुप्रेम ॥ ३२. किन्नर नीं पूछा कीषां जिन भाले, अग्रमहेषी प्यार सुलेवा । अवतंसा केतुमती रतिसेना, रतिप्रिया शेषं तं चेव' कहेवा ॥
३३. सतपुरुष पूछा चिउं अग्रमहिषी, रोहणी नवमिका ही पुष्कवंती । इक इक सहस्र परिवार शेष तिम, महापुरुष नैं पिण इम हुंती ॥
३४. अतिकाय नामे इंद्र च्यार महिषी, भुजगा भुजगवती ने महाकच्छा । फुडा सहस्र परिवार शेष तिम, महाकाय नें पिण इम अच्छा ॥
१. अंगमुत्ताषि में पमावती' को पाठान्तर में रखा गया है, वहां मूल में 'वसुमती' शब्द है ।
२. इसके बाद अंगण भाग २ ० १७६६ में एवं किपुरिसस्स वि' पाठ है । इस पाठ की जोड़ नहीं है । सम्भव है कुछ आदर्शो में यह पाठ नहीं रहा होना ।
२४४ भगवती जोड़
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२४. तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारो सेसं 'जहा चमरलोगपालाणं' । परिवारो तहेव, २५. नवरं कालाए रावहाणीए, कार्लस सीहासमंस, सेसं त चेव । एवं महाकालस्स वि ।
२६. सुरूवरूप णं भंते! भूतिदस्स भूतरणोपुच्छा अग्यो ! बसार अम्यमहिसीको पत्तागो तं जहा ख्ववर्ड बहुरूवा सुरूवा सुभगा । ७. तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे सेसं जहा कालस्स । एवं पडिरूवस्स वि । (श० १०।०१)
२८. पुण्णभद्दस्स णं भंते ! जक्खिंदस्स - पुच्छा । अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा - पुण्णा, बहुपुत्तिया, उत्तमा, तारया । २९. तत्व एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा कालस्स । एवं माणभद्दस्स वि ।
( श० १० ८४ ) ३०. भीमस्स णं भंते ! रक्खसिदस्स - पुच्छा अज्जो ! चत्तारि अग्ममहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा - पउमा वसुमती कणगा रयणप्पभा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे,
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३१. सेसं जहा कालस्स । एवं महाभीमस्स वि । (श० १०००५)
३२. किन्नरस्स णं - पुच्छा
अज्जो ! चत्तारि अग्नमहिसीओ पण्णत्ताओ तं जहा वसा केतुमती रतिसेणा रइप्पिया--" परिवारे सेसं तं चेव । ( ० १०/०६)
३३. सप्पुरिसस्स णं - पुच्छा । अमो ! बत्तारि अम्ममहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा - रोहिणी, नवमिया, हिरी, पुप्फवती । तत्थ गं एनमे गाए देवीए एगमे देवीसह परिवारे, सेसं । । तं चैव एवं महापुरिसस्त वि ( ० १०८७) ३४. अतिकायस्स णं - पुच्छा
अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा - भुयगा, भुयगवती, महाकच्छा, फुडा । तत्थ णं एगमेनाए देवीए एगमेव देवीसह परिवारे से चेव । एवं महाकायस्स वि । (N० १०६)
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