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________________ ६. दो भंते ! तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणियपवेसण एणं-पुच्छा । १० द्वयोरप्येकै कस्मिन्नुत्पादे पञ्चैव, (वृ०प० ४५१) हिवै दोय जीव तिर्यंच में ऊपज ते प्रश्न करै छै६. दोय जीव तिर्यंच में, उपजै तेहनों जाण । प्रश्न करै गंगेय मुनि, भाखै तब जगभाण ॥ १०. इकसंयोगिक तेहनों, विकल्प एक विचार । भांगा तेहनां पंच है, इहविध करिवा सार । ११. बिहुं एकेंद्रिय – विषे, तथा बेंद्री मांय । तथा तेंद्री में बिह, जीव ऊपजै आय ।। १२. तथा चरिंद्री में बिह, तथा पंचेंद्री मांय । इकसंयोगिक इह विधे, पंच भंग कहिवाय ।। दो जीव तिर्यंच में ऊपज ते इकसंजोगिया नों विकल्प १ भांगा ५१-५ दो जीव एकेंद्री में ऊपज जाव पंचेंद्री में ऊपजै । १३. तथा एक एकेंद्रिय, एक बेंद्रिय होय । नरक प्रवेशन जेम ए, तिरिक्ख-प्रवेशन जोय ।। ११,१२. गंगेया ! एगिदिएसु वा होज्जा जाव पंचिंदिएसु बा होज्जा। १४. तिहां सात पृथ्वी विषे, इहां पंच है स्थान । जाव असंख्याता लगै, कहिवो सर्व पिछान ।। १३. अहवा एगे एगिदिएसु होज्जा एगे बेइंदिएसु होज्जा, एवं जहा नेरइयपवेसणए तहा तिरिक्खजोणियपवे सणए वि भाणियब्वे । १४. परं तत्र सप्तसु पृथ्वीष्वे कादयो नारका उत्पादिताः तिर्यञ्चस्तु तथैव पञ्चसु स्थानेषत्पादनीया:, (वृ० प० ४५१) जाव असंखेज्जा। (श० ६।१०४) १५. ततो विकल्पनानात्वं भवति, तच्चाभियुक्तेन पूर्वोक्त न्यायेन स्वयमवगन्तव्यमिति, (वृ० प० ४५१) १६. द्विकयोगे तु दश, (वृ०प० ४५१) १५. भंग हुवै नानापणे, तत्त्व अभियुक्तेन । पूर्व उक्त न्याय करी, करिवा बुद्धि न्यायेन ॥ १६. द्विकसंयोगिक एहनां, विकल्प तेहनों एक । दश भांगा भणिवा तसु, तसु विधि एम संपेख । *सुण गंगेया रे ! भाखै जिन गुणगेहा ॥ [ध्रुपदं] १७. अथवा एक एकेंद्री मांहे, एक बेंद्रिय होय । अथवा एक एकेंद्री में ऊपजै, एक तेंद्री में जोय ॥ १८. अथवा एक एकेंद्रिय मांहे, एक चरिद्रिय माय । अथवा एक एकेंद्रिय मांहे, एक पंचेंद्रिय थाय ।। १६. अथवा एक बेइंद्री में ऊपज, एक तेइंद्रि में होय । अथवा एक बेइंद्री में ऊपजै, एक चउरिद्रि में जोय ।। २०. अथवा एक बेइंद्री में ऊपजै, एक पंचेंद्रिय थाय। . बे इंद्रिय थी ए त्रिण भंगा, भणवा जिन वच न्याय ।। २१. अथवा एक तेंद्रिय में ऊपजै, एक चरिद्री हंत । अथवा एक तेंद्रिय में ऊपजै, एक पंचेंद्री जंत ।। २२. अथवा एक चरिंद्री में ऊपजै, एक पंचेंद्रिय थाय । द्विकसंयोगिक ए दश भंगा, तत्व युक्ति करि थाय ।। हिवं तीन जीव तिर्यंच में ऊपजै तेहनां इकसंयोगिक भांगा ५– १-५. तीन जीव एकेंद्री में ऊपजै जाव तथा पंचेंद्री में ऊपज । द्विक संजोगिक विकल्प २ भांगा २०, ते दोय विकल्प करि कहै छै१. एक जीव एकेंद्री में ऊपज दोय जीव बेइंद्रिय में ऊपज २. दोय जीव एकेंद्री में उपजै एक जीव बेइंद्रिय में ऊपज 'लय : रूडे चन्द नीहाल रे श०६ उ० ३२, ढाल १९१ २११ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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