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वा०-हिब रत्न बालु थी षट भांगा ते किसा? रत्न वालु पंक थी ३, रत्न वालु धूम थी २, रत्न वालु तम थी१ । तिहां प्रथम रत्न बालुक पंक थी ३ भांगा कहै छै३१. तथा रत्न वालु पंक धूम में,
तथा रत्न वालु पंक तम में चीन के। तथा रत्नवालु पंक सप्तमी, ए रत्न वालक – पंक थी तीन कै॥ ३२. तथा रत्न वाल धम तम विषे,
तथा रत्न वाल धूम सप्तमी होय के। रत्न वालक नैं धूम थी, भांगा एह कह्या छै दोय कै ।। ३३. तथा रत्न वालुक तम सप्तमी, रत्न वालुक थी षट भंग एह के।
रत्न अनैं वलि पंक थी, तीन भांगा कहियै छै जेह के ।। वा०—हिवं रत्न पंक थी ३ भांगा ते किसा? रत्न पंक धूम थी २, रत्न पंक तम थी-१ एवं ३। ३४. तथा रत्न पंक धूम तम विषे,
___ तथा रत्न पंक धूम सप्तमी होय के। रत्न पंक नैं धूम थी, भांगा एह कह्या छै दोय के ।। ३५. तथा रत्न पंक तम सप्तमी, रत्न पंक थी त्रिण भंग एह के ।
रत्न धूम थी भंग इक, सांभलज्यो हिब कहिये जेह के ।। ३६. तथा रत्न धुम तम सप्तमी, रत्नप्रभा थी ए भंग वीस के।
दाख्या चउक्कसंयोगिका, उत्कृष्ट नरक प्रवेशन दीस के ।। वा०--हिवं उत्कृष्ट पदे नरक में आजै तेहनां पंचसंमोगिक १५ भांगा रत्न थी हवै, ते कहै छै-रत्न सक्कर यी १०, रत्न वालुक थी ४, रत्न पंक थी १–एवं १५ । तिहां रत्न सक्कर थी १० ते किसा? रत्न सक्कर वालु थी ६, रत्न सक्कर पंक थी ३, रत्न सक्कर धूम थी १-एवं १०। तिहां रत्त सक्कर वालु थी ६ ते किसा? रत्न सक्कर वालु पंक थी ३, रत्न सरकर वालु धूम थी २, रत्न सक्कर वालु तम थी १-एवं ६ । तिहां रल सक्कर बालु पंक थी ३ भांगा प्रथम कहै छै-- ३७. *तथा रत्न सक्कर वालु पंके, धूम मांहि पहिछाणियै'।
तथा रत्न सक्कर वालु पंके, तमा छठी जाणिय ।।
वा०-पञ्चकसंयोगे पञ्चदश
(वृ० ५० ४५१)
३८. तथा रत्न सक्कर वालु पंके, सप्तमीज लहीजिये।
रत्न सक्कर वाल पंक थी, भंग त्रिण इम कीजिये ।। ३६. तथा रत्न सककर वालु धूमा, तमा थी सुविणेषिये।
तथा रत्न सक्कर वालु धूमा, सप्तमी थी लेविय।। ४०. तथा रत्न सककर वालुका तम, सप्तमी नारक लही।
रत्न सक्कर बालुका थी, एह षट भंगा सही। वा०वि रत्न सककर पंक थी ३ भांगा ते किसा? रस सक्कर पंक धम थी २ अनं. रत्न सक्कर पंक तम थी १-एवं३ । ४१. तथा रत्न सक्कर पंक धूमा, तम विषे अवधाारियै ।
तथा रत्न सक्कर पंक धूमा, सप्तमी सुविचारियै ।। * लय : पूज मोटा भांजै तोटा
३७. अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए
पंकप्पभाए धमप्पभाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए
जाव पंकप्पभाए तमाए य होज्जा, ३८. अहवा रयणप्पभाए जाव पंकप्पभाए अहेसत्तमाए य
होज्जा, ३६-४७. अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए बालूयप्पभाए
धूमप्पभाए तमाए य होज्जा, एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा पंचण्हं पंचगसंजोगो तहा भाणियब्वं जाव अहवा रयणप्पभाए पंकप्पभाए जाव अहेसत्तमाए य होज्जा,
२०८ भगवती-जोड़
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