________________
तथा रत्न सप्तमी मांहि के ए पट भांगा दाख्या ताहि के ॥ तेनां त्रिकसंयोगिक १५ भांगा रत्न पंक थी ३, रत्न धूम थी २
---
उपजै
वा०-हिवै उत्कृष्ट पदे नरक में कहै छै - रत्न सक्कर थी ५, रत्न वालु थी ४, रत्न तम थी १ - एवं १५ भांगा रत्न थकीज हुवै । उत्कृष्ट पदे नरक में ऊपजै तेह नरक ने विषे ऊपजै तिवारे रत्नप्रभा में तो ऊपजेईज, और नरक में कोइ में ऊपजै कोइ में नहीं पिण ऊपजै, ते भणी रत्नप्रभा सूं ईज १५ हुवै । तिहां प्रथम रत्न सक्कर सूं ५ भांगा कहै छँ
२०. तथा रत्न वसि तम विये उत्कृष्ट पद द्विकयोगिका,
२१. तथा रत्न सक्कर वालु विषे', अथवा रत्न सक्कर पंक होय कै । अथवा रत्न सक्कर धूम में, अथवा रत्न सक्कर तम जोय के || २२. तथा रत्न सक्कर नैं सप्तमी, रत्न सक्कर थी ए भंग पंच कै ।
हि रत्न अवालुक थकी कहिये चिरं भांगानों संच के।। २३. अथवा रत्न वालु पंक में, अथवा रत्न वालु धूम मांय कै । अथवा रत्न वालु तम विषे, अथवा रत्न वालु सप्तमी पाय के ॥
ने
२४. अथवा रत्न पंक धूम में, अथवा रत्न पंक तम अथवा रत्न पंक सप्तमी, रत्न पंक थी ए २५. अथवा रत्न धूम तम विषे, तथा रत्न धूम रत्न ने धूमप्रभा थकी, एह कह्या छे २६. अथवा रत्न तम सप्तमी, ए रत्न थकी उत्कृष्ट नरके ऊपजै, निश्च रत्न में
भंग
वा०-- हिवं उत्कृष्ट पदे नरक में उपजे तेहनां चक्क संयोगिक २० भांगा कहै छै - तिके २० भांगा रत्न सूं ईज हुवै, रत्न में तो अवश्य उपजैइज । तिणमें
पंक थकी ३, रत्न धूम थी १
रत्न सक्कर थी १०, रत्न वालुक थी ६, रत्न एवं २० । तिहां रत्न सक्कर थी १० ते किसा ? रत्न सक्कर वालुक थी ४, रत्न सक्कर पंक थी ३, रत्न सक्कर धूम थी २, रत्न सक्कर तम थी १ – एवं रत्न सक्कर थी १०, ते कहै छ
२७. तथा रत्न सक्कर वालु पंक में,
तथा रत्न सक्कर वालु तम विषे,
तथा रत्न सक्कर वालु धूमे जंत कै । तथा रत्न सक्कर वालु सप्तमी हुंत के ॥
२८. तथा रत्न सक्कर पंक धूम में,
चीन के । भंग तीन के ॥
सप्तमीं होय के । भांगा दोय के ॥ पनरे जाण के I
उपजे
आण के ||
तथा रत्न सक्कर पंक सप्तमीं,
तथा रत्न सक्कर पंक तम लीन के ।
२६. तथा रत्न सक्कर धूम तम विषे,
Jain Education International
ए रत्न सक्कर नैं पंक थी तीन कै ॥
तथा रत्न सक्कर धूम सप्तमी होय कै । रत्न सक्कर ने धूम थी, आख्या है ए भंगा दोय कै ॥
३०. तथा रत्न सक्कर तम सप्तमीं, ए रत्न सक्कर थी दश भंग देख के । हिवे रत्न अने वालुक थकी, भांगा पट कहिये सुविशेध के ।।
वा० - त्रिकयोगे पञ्चदश
२१,२२. अहवा रयणप्पभाए य सक्करणभाए य वालुयप्पभाए य होज्जा, एवं जाव अहवा रयणप्पभाए य सक्कर पभाए य असत्तमाए य होज्जा,
( वृ० प० ४५१)
२३. अहवा रयणपभाए वालुयप्पभाए पंकष्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए अहेस तमाए य होज्जा,
२४-२६ गणनाए पंकप्पभाए घूमाए होग्गा, एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा तिन्हं तियासंजोगो भणिओ तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयणप्पभाए तमाए य असत्तमाए य होज्जा ।
वा० संयोगे विंशतिः
For Private & Personal Use Only
( वृ० १०४५१)
२७. अहवा रयणप्पभाए य सक्करव्यभाए वालुयप्पभाए पंकष्पभाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करपभाए वालुयपभाए धूमप्पभाए य होज्जा जाब अहवा रयणप्पभाए सक्करपभाए वालुयष्पभाए असत्तमाए य होना,
२८-३६. अहवा रयणप्पभाए सक्करपभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा चउन्हं चउक्कगसंजोगो भणितो तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयणभाए धूमणभाए तमाए अहेसत्तमाए य होज्जा |
श० ६, उ० ३२, ढाल १६० २०७
www.jainelibrary.org