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५६. १ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक, असंख धूम, असंख तम,
असंख
सप्तमीं
५७. २ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक, असंख धूम, असंख तम,
असंख
सप्तमी
५८. ३ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक, असंख धूम, असंख तम, असंख सप्तमीं ५६. ४ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक, असंख धूम, असंख तम, असंख
सप्तमी
६०. ५ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक, असंख धूम, असंख तम,
असंख
सप्तमी
६१. ६ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक, असंख धूम, असंख तम,
असंख
सप्तमीं
६२. ७ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक, असंख धूम, असंख तम,
असंख
सप्तमी
धूम, असंख तम, असंख
६४. ९ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक, असंख धूम, असंख तम,
सप्तमी असंख
सप्तमी
६३.८ रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असख पक, असंख
६५. १० रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक, असंख धूम, असंख तम, असंख सप्तमी
६६. संख रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक, असंख धूम, असंख तम,
असंख सप्तमी असंख तम,
असंख सप्तमी
एवं असंख्याता जीवां रा सप्त संजोगिक विकल्प ६७ भांगा ६७ कह्या । हा प्रकारांतर वली, नरक - प्रवेसन करे गंगेय मुनि, आखै वीर १५. हे प्रभु! नेरइया, उत्कृष्ट पद करिने उपजेह के
न्हाल | दयाल ||
तास प्रश्न कीधे छते, श्री जिन भाखे सुण गंगेव क ॥ १६. सर्व प्रथम हुवै रत्न में, इक संजोगे इक भंग एह के । जे उत्कृष्ट पदे करी, ते सहु रत्नप्रभा उपजेह कै ॥ सोरठा १७. रत्ने जावणहार, जीव बहू छ त अथवा रत्न मज्ञार, मारकि पिना बहुला अछे || १८. संयोगिक
भणी ।
एक, भांगो
इहविथ आखियो । गंगा कहिये हिये ॥
द्विक्संयोगिक
पेख, पट
हि द्विक संयोगिक ६ भांगा कहै छे
६७. असख रत्न, असंख सक्कर, असंख वालु, असंख पंक, असंख धूम,
१४. हिव
प्रश्न
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१. तथा म यति कर में सारन पिंक में *लय हूं बलिहारी हो जादवां ! २०६ भगवती जोड़
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।
अथवा रत्न बालू में होय अथवा रत्न धूम वलि जो है ।।
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१४. अथ प्रकारान्तरेण नारकप्रवेशनकमेवाह( वृ० प० ४४९ )
१५,१६. उक्कोसेणं भंते ! नेरइया नेपवेसणएवं पसिनाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? – पुच्छा । गंगेया ! सब्वे वि ताव रयणप्पभाए होज्जा, 'उनकोण' मिस्यावि
उत्कृष्ट पनिस्ते सर्वेऽपि रत्नप्रभायां भवेयुः
( वृ० प० ४५० ) १७. तद्गामिनां तत्स्थानानां च बहुत्वात्,
( वृ० प० ४५१) १८. इह प्रक्रमे द्विकयोगे षड् भङ्गका ( वृ० प० ४५१ )
१६,२०. अहवा रयणप्पभाए य सक्करण्यभाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य वालुयपभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए य असत्तमाए य होज्जा,
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