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________________ ३०. अथवा इक रत्न नव सक्कर संख वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर नव वालु संख, संख पंक सप्तमी में संख्यातं । गुणतीसमों विकल्प श्री जिनराज कहै ।। ३१. अथवा इक रत्न दश सक्कर संख वालुका, ____ संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर दश वालु संख, संख पंक सप्तमी में संख्यातं । तीसमों विकल्प श्री जिनराज कहै । ३२. अथवा इक रत्न संख सक्कर संख वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर संख वालु संख, संख पंक सप्तमी में संख्यातं । इकतीसमों विकल्प श्री जिनराज कहै ।। ३३. अथवा बे रत्न संख सक्कर संख वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न बे सक्कर संख वालु संख, संख पंक सप्तमी में संख्यातं । बतीसमों विकल्प श्री जिनराज कहै । ३४. अथवा त्रिण रत्न संख सक्कर संख वालुका, संख पंक धुम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न त्रिण संख सक्कर वालु संख, संख पंक सप्तमी में संख्यातं । तेतीसमों विकल्प श्री जिनराज कहै ।। ३५. अथवा चिउ रत्न संख सक्कर संख वालुका, संक पंक धम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न चिउ संख सक्कर वाल संख, संख पंक सप्तमी में संख्यातं । चउतीसमों विकल्प श्री जिनराज कहै ।। ३६. अथवा पंच रत्न संख सक्कर संख वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न पंच संख सक्कर वाल संख, पंक संख सप्तमों में संख्यातं । पैंतीसमों विकल्प श्री जिनराज कहै ।। ३७. अथवा षट रत्न संख सक्कर संख वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न षट संख सक्कर वालु संख, पंक संख सप्तमों में संख्यातं । छतीसमों विकल्प भी जिन राज कहै ।। श० ६, उ० ३२, ढाल १८६ १८६ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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