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________________ सख पकसान २२. अथवा इक रत्न इक सक्कर संख वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालु संख, संख पंक सप्तमी में संख्यातं । इकवीसमों विकल्प श्री जिनराज कहै । २३. अथवा इक रत्न बे सक्कर संख वालका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर बे वालु संख, संख पंक सप्तमी में संख्यातं । बावीसमों विकल्प श्री जिनराज कहै ।। २४. अथवा इक रत्न त्रिण सक्कर संख वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर त्रिण वालु संख, संख पंक सप्तमी में संख्यातं । तेवीसमों विकल्प श्री जिनराज कहै ।। २५. अथवा इक रत्न चिउ सक्कर संख वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर चिउ वालु संख, संख पंक सप्तमी में संख्यातं । चउवीसमों विकल्प श्री जिनराज कहै ।। २६. अथवा इक रत्न पंच सक्कर संख वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर पंच वालु संख, संख पंक सप्तमी में संख्यातं ॥ पणवीसमों विकल्प श्री जिनराज कहै ।। २७. अथवा इक रत्न षट सक्कर संख बालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर षट वालु संख, ___ संख पंक सप्तमी में संख्यातं । षटवीसमों विकल्प श्री जिनराज कहै ।। २८. अथवा इक रत्न सप्त सक्कर संख वालुका, संख पंक धम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर सप्त वालुसख, संख पंक सप्तमों में संख्यात । सप्तवीसमो विकल्प श्री जिनराज कहे ।। २६. अथवा इक रत्न अठ सकार संख वालुका, संखपंक धम संखपात जातं । जाव तथा रत्न इक राक्कर अठवाल संख, पंक संख सप्तमी म संख्यातं । अष्टवीसमों विकल्प थी जिनराज कहै ।। १८८ भगवती-जाद Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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