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________________ १४. अथवा इक रत्न इक सक्कर त्रिण वालुका, सं पंक धम संख्यात जातं । जा तथा रत्न इक सक्कर इक वालु त्रिण, सं पंक सप्तमीं में संख्या त्रयोदशम विकल्प जिनराज वागरे ॥ १५. अथवा इक रत्न इक सक्कर चिउं वालुका, संघ पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालु चिउं, संख पंक सप्तमीं में संख्यातं । चउदशम विकल्प जिनराज वागरै ॥ १६. अथवा इक रत्न इक सक्कर पंच वालुका, संख पंक घूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालु पंच, संख पंक सप्तमीं में संख्यातं । पनरम विकल्प श्री जिनराज कहै । १७. अथवा इक रत्न इक सक्कर षट वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालु षट, संख पंक सप्तमीं में संख्यातं । सोलसम विकल्प श्री जिनराज कहै ॥ १८. अथवा इक रत्न इक सक्कर सप्त वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालु सत्त Jain Education International संख पंक सप्तमीं में संख्यातं । सतरमों विकल्प श्री जिनराज कहै ॥ १६. अथवा इक रत्न इक सक्कर अठ वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालु अठ, संख पंक सप्तमीं में संख्यात । अठारमों विकल्प श्री जिनराज कहै ।। २०. अथवा इक रत्न इक सक्कर नव वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालु नव, संख पंक सप्तमीं में संख्यातं । उगणीसमों विकल्प श्री जिनराज कहे । २१. अथवा इक रत्न इक सक्कर दश वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इकवालु दश, सं पंक सप्तमीं में संख्यातं । बीसों विकल्प श्री जिनराज कहे ।। For Private & Personal Use Only श०६, उ०३२, ढाल १८६ १८७ www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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