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________________ ६. अथवा इक रत्न इक सक्कर इक वालुका, पंक पंच धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालुक इक, पंक पांच सप्तमी में संख्यातं । पंचम विकल्प श्री जिनराज कहै ।। ७. अथवा इक रत्न इक सक्कर इक वालुका, पंक षट धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालु इक, पंक षट सप्तमी में संख्यातं । षष्टम विकल्प श्री जिनराज कहै। ८. अथवा इक रत्न इक सक्कर इक वालुका, पंक सप्त धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालु इक, पंक सप्त सप्तमी में संख्यातं । सप्तम विकल्प श्री जिनराज कहै ।। ६. अथवा इक रत्न इक सक्कर इक वालुका, पंक अष्ट धूम संख्यात जातं । जाव तथा इक रत्न सक्कर इक वालु इक, पंक अष्ट सप्तमी में संख्यातं । विकल्प अष्टम श्री जिनराज कहै । १०. अथवा इक रत्न इक सक्कर इक वालुका, पंक नव धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालु इक, पंक नव सप्तमी में संख्यातं । नवम विकल्प जिनराज इम वागरै ।। ११. अथवा इक रत्न इक सक्कर इक वालुका, पंक दश धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वाल इक, पंक दश सप्तमी में संख्यातं । दशम विकल्प जिनराज इम वागरै।। १२. अथवा इक रत्न इक सक्कर इक वालुका, संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालु इक, संख पंक सप्तमी में संख्यातं । एकादशम विकल्प जिनराज वागरै ।। १३. अथवा इक रत्न इक सक्कर बे वालुका, ___ संख पंक धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालुबे, __संख पंक सप्तमी में संख्यातं । द्वादशम विकल्प जिनराज वागरे । १८६ भगवती-जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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