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४१. नवम शतक नों बतीसम देशज, एकसौ नैं अठ्यासीमी ढाल ।
भिक्ष भारीमाल ऋषिराय प्रसादे, 'जय-जश' संपति हरष विशाल ।।
ढाल : १८६
हिवै संख्यात जीवां रा पंचसंयोगिक नां विकल्प ४१, भांगा ८६१ तिणरो विवरो---पंच संयोगिक २१ भांगा एक-एक विकल्प करि हुदै । रत्न थकी १५, सक्कर थी ५ वालुक थी १, एवं २१ । तिहां रत्न थी १५ तेहनों विवरो---रत्न सक्कर थी १०, रत्न वालु थी ४, रत्न पंक थी १ एवं १५ । तिहा रत्न सक्कर थी १० ते किसा? रत्न सक्कर बालु थी ६, रत्न सक्कर पंक थी ३, रत्न सक्कर धूम थी १ एवं १० । तिहां रत्न सक्कर वालुक थी ६ ते किसा? रत्न सक्कर वालु पंक थी ३, रत्न सक्कर वालु धूम थी २, रत्न सक्कर वालु तम थी १-एवं ६ । तिहां प्रथम रत्न सक्कर वालु पंक थी ३ भांगा ४१ विकल्प करि १२३ भांगा कहै छै
१. पञ्चकसंयोगेषु त्वाद्याभिः पञ्चभिः प्रथमः पञ्चक
योगः, ""तत एते सर्वेऽप्येकत्र पञ्चकयोगे एकचत्वारिंशत्, अस्याश्च प्रत्येक सप्तपदपञ्चकसंयोगानामेकविशतेलाभादष्टशतानि एकषष्ट्यधिकानि भवन्ति ।
(वृ प० ४४६)
१.जीव संखेज तणां हिवै, पंच-संयोगि कहीस ।
अठ सय इकसठ भंग तसु, विकल्प इकतालीस ।। २. *अथवा इक रत्न इक सक्कर इक वालुका,
पंक इक धूम संख्यात जातं ।। जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालु इक,
पंक इक सप्तमी में संख्यातं ।
विकल्प प्रथम जिनराज इम वागरे । ३. अथवा इक रत्न इक सक्कर इक बालुका,
पंके बे धूम संख्यात जातं । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालु इक,
पंक बे सप्तमी में संख्यातं ।
विकल्प द्वितीय जिनराज इम वागरे । ४. अथवा इक रत्न इक सक्कर इक वालुका,
पंक त्रिण धूम संख्यात जात । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक बालु इक,
पंक त्रिण सप्तमी में राख्यात।
विकल्प तृतीय जिनराज इम वागरै।। ५. अथवा इक रत्न इक सक्कर इक वालुका,
___पक चिउ धूम संख्यात जात । जाव तथा रत्न इक सक्कर इक वालुइक,
पंक चिउ सप्तमी में सख्यातं । विकल्प तुर्य जिनराज इम बागर ।।
*लय : कड़खारी
२०
उ०३२, ढाल १०८,१८६ १८५
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