________________
अनया च सप्तपदचतुष्कसंयोगानां पंचत्रिंशतो गुणने सहस्र पंचाशीत्यधिकं भवति। (वृ०प०४४६)
* श्री जिन भाखै सुण गंगेया! (ध्रुपदं) २. तथा रत्न इक सक्कर में इक, एक वालु पंक माहि संख्यात ।
तथा रत्न इक सक्कर में इक, एक वालु धूम संख्याता जात ।। ३. तथा रत्न इक सक्कर में इक, एक वालु तम संख भणेज।
तथा रत्न इक सक्कर में इक, एक वाल सप्तमी में संखेज ।। ४. तथा रत्न इक सक्कर में इक, बे वालुक पंक मांहि संख्यात ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर इक, बे वालुक संख सप्तमी जात ।। ५. तथा रत्न इक सक्कर में इक, त्रिण वालु पंक मांहि संखेय ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर इक, त्रिण वालु संखेज सप्तमी लेय । ६. तथा रत्न इक सक्कर में इक, चिउं वालु पंक संखेज कहेय ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर इक, चिउं वालु सप्तमी संखेज लेय ।। ७. तथा रत्न इक सक्कर में इक, पंच वालु पंक संखेज लेय ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर इक, पंच वालु सप्तमी में संखेय ।। ८. तथा रत्न इक सक्कर में इक, षट वाल पंक संख्यात पीड़ात ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर इक, षट वालु सप्तमी मांहि संख्यात ।। है. तथा रत्न इक सक्कर में इक, सप्त वालू पंक संखेज लेय ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर इक, सप्त वालु सप्तमी में संखेय ।। १०. तथा रत्न इक सक्कर में इक, अष्ट वालक पंक संखेज वेय ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर इक, अष्ट वालू सप्तमी में संखय ।। ११. तथा रत्न इक सक्कर में इक, नव वालू पंक संखेज वदेह ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर इक, नव वाल संखेज सप्तमी लेह ।। १२. तथा रत्न इक सक्कर में इक, दश वालु पंक संखेज वदेह ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर इक, दश वालु संखेज सप्तमी लेह। १३. तथा रत्न इक सक्कर में इक, संखेज वालु संखेज पंकेय ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर इक, संखेज वालु सप्तमी संखेय ।। १४. तथा रत्न इक सक्कर में बे, संखेज वालु संखेज पंकेय ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर बे, संखेज वालू सप्तमी संखेय ।। १५. तथा रत्न इक सक्कर में त्रिण, संखेज वालु संखेज पंकेय ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर त्रिण, संखेज वालु सप्तमी संखेय ।। १६. तथा रत्न इक सक्कर में चिउं, संखेज वालू संखेज पंकेय ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर चिउं, संखेज वालू सतमा संखय ।। १७. तथा रत्न इक सक्कर में पंच, संखेज वालू संखेज पकेय ।
जाव तथा इक रत्न सफर पंच, संखज वालु सप्तमी संखेय ॥ १८. तथा रत्न इक सकार में षट, संखेज वाल संखेज पंकेय ।
जाव तथा इक रत्न सक्कर षट, संखेज वालु सप्तमी संखय ।। १६. तथा रत्न इक सक्कर म सप्त, संखेज वालु संखज पंकेय ।
तथा रत्न इक सक्कर म सप्त, संखेज वालुसनमा संखय ।। २०. तथा रत्न इक सक्कर में अष्ट, संखेज वालु संखेज पंकेय ।
तथा रत्न इक सक्कर में अष्ट, संखेज वालु सप्तमी में संखेय ।।
*लय : घोड़ी री
श०६,उ०३२, ढाल १८८ १९३
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org