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________________ ५८. तथा एक रत्न जाव तथा रत्न ५६. तथा एक रत्न जाव तथा रत्न ६०. तथा एक रत्न जाव तथा रत्न ६१. तथा एक रत्न जाव तथा रत्न सक्कर पंच ए, संखेज वालुका संच ए । इक अंक ए, पंच सक्कर सप्तमीं संख ए ॥ में लहेज ए, षट सक्कर वालु संखेज ए । इक अंक ए, घट सक्कर सप्तमीं संख ए ॥ में कहेज ए, सप्त सक्कर वालु संखेज ए । इक अंक ए, सप्त सक्कर सप्तमीं संख ए ॥ में लहेज ए, अठ सक्कर वालु संखेज ए । इक अंक ए, सप्तमीं संख ए ॥ अष्ट सक्कर ६२. तथा एक रत्न जाव तथा रत्न ६३. तथा एक रत्न में में लहेज इक अंक कहेज ए, ए, नव सक्कर वालु संखेज ए । ए, नव सक्कर सप्तमी संख ए ।। दश सक्कर वालु संखेज ए । दश सक्कर सप्तमी संख ए ॥ संख सक्कर वालु संखेज ए । संख सक्कर सप्तमीं संख ए ॥ संस सक्कर वालु संसेज ए । संख सक्कर सप्तमीं संख ए ॥ जाव तथा रत्न इक अंक ए, ६४. तथा एक रत्न में कहेज ए, जाव तथा रत्न इक अंक ए, ६५. तथा दोष रत्न में लहेज ए जाव तथा रत्न बे अंक ए, ६६. तथा तीन रत्न में कहेज ए, जाव तथा रत्न त्रिण अंक ए, ६७. तथा व्यार रत्न में लहेज ए, जाव तथा रत्न चिउं अंक ए, ६८. तथा पंच रत्न में कहेज ए, जाव तथा रत्न पंच अंक ए, ६६. अथवा षट रत्न कहेज ए, Jain Education International संख सक्कर वालु संखेज ए । संख सक्कर सप्तमी संख ए ॥ संख सक्कर वालु संखेज ए । संख सक्कर सप्तमीं संख ए ॥ संख सक्कर वालु संखेज ए । संख सक्कर सप्तमी संख ए ॥ षट सक्कर वालु संखेज ए । षट सक्कर सप्तमीं संख ए ॥ सप्त सक्कर वालु संखेज ए । सप्त सक्कर सप्तमीं संख ए ॥ अष्ट सक्कर वालु संखेज ए । अष्ट सक्कर सप्तमीं संख ए ।। नव सक्कर वालु संखेज ए । नव सक्कर सप्तमीं संख ए ॥ दश सक्कर वालु संखेज ए । दश सक्कर सप्तमी संख ए ॥ संख सक्कर वालु संखेज ए । संख सक्कर सप्तमीं संख ए ॥ विकल्प इकवीस विरंच ए । हिवै रत्न वालुक थी प्रसंग ए ॥ इक वालुक पंक संखेज ए । इक वालुक सप्तमीं संख ए ॥ जाव तथा रत्न षट अंक ए, ७०. तथा सप्त रत्न में कहेज ए, जाव तथा रत्न सप्त अंक ए, ७१. तथा अष्ट रत्न में लहेज ए, जाव तथा रत्न अष्ट अंक ए, ७२. अथवा नव रत्न लहेज ए, जाव तथा रत्न नव अंक ए, ७३. अथवा दश रत्न लहेज ए, जाव तथा रत्न दश अंक ए, ७४. अथवा संख रत्न कहेज ए, जाव तथा रत्न संख अंक ए, ७५. रत्न सक्कर थी भंग पंच ए, ह्या एकसौ नैं पंच भंग ए, ७६. तथा एक रत्न में कहेज ए, जाव तथा रत्न इक अंक ए, ६५. अहवा दो रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा दो रयणप्पभाए सं खेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा आहेसत्तमाए होज्जा । ६६-७४ अहवा तिणि रयणप्पभाए सखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा । एवं एएवं कमेणं एक्क्को रयणप्पभाए संचारेयव्वो जाव अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करपभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा आहेसत्तमाए होज्जा | ७६. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयष्पभाए संखेज्जा पंकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुष्पभाए संखेज्जा असत्तमाए होज्जा । For Private & Personal Use Only श० ६, उ० ३२, ढाल १८७ १८१ www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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