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________________ होज्जा जाव २४,२५. गंगेया ! रयणप्पभाए वा अहेसत्तमाए वा होज्जा। इहाप्येकत्वे सप्तव (वृ० प० ४४८) २४. रत्नप्रभा में संखेज ए, अथवा सक्कर में ते कहेज ए। अथवा वालुक मांहे तेह ए, अथवा पंक तमा धूम जेह ए॥ २५. अथवा तमा विषे उपजत ए, अथवा नरक सप्तमी हुंत ए। इक योगिक भांगा सात ए, इक विकल्प करि आख्यात ए॥ हिवै द्विकसंजोगिक नां विकल्प ११ भांगा २३१ । एक रत्न संख्याता सक्कर इम ११ विकल्प । एक-एक विकल्प मां इकवीस-इकवीस भांगा हुवै तिवारे २३१ भांगा थाय, ते कहै छै२६. तथा एक रत्न अवलोय ए, संख्याता सक्कर सोय ए। तथा रत्न इक जाण ए, संख्याता वालुक माण ए॥ २७. अथवा रत्न में एक ए, संख्याता पंक संपेख ए। __ अथवा रत्न इक जाय ए, संखेज्ज धूम दुख पाय ए॥ २८. अथवा रत्न इक हुंत ए, संखेज्ज तमा उपजत ए। अथवा रत्न इक तास ए, संखेज्ज सप्तमी वास ए॥ २६. अथवा रत्न में दोय ए, संख्याता सक्कर होय ए। इम जाव तथा रत्न दोय ए, संख्याता सप्तमी सोय ए॥ २६-२८. अहवा एगे रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। २६. अहवा दो रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। ३०-३७. अहवा तिण्णि रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा। एवं एएणं कमेणं एक्केक्को संचारेयवो जाव अहवा दस रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा। एवं जाव अहवा दस रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा । ३०. अथवा रत्न में तीन ए, संख्याता सक्कर चीन ए। इम जावत तथा रत्न तीन ए, संखेज्ज सप्तमी लीन ए॥ ३१. अथवा रत्न में च्यार ए, संख्याता सक्कर धार ए। इम जाव तथा रत्न च्यार ए, संखेज्ज सप्तमी भार ए॥ ३२. अथवा रत्न में पंच ए, संख्याता सक्कर संच ए। इम जाव तथा रत्न पंच ए, संखेज्ज सप्तमी विरंच ए॥ ३३. अथवा रत्न षट जंत ए, संख्याता सक्कर हुंत ए। इम जाव तथा रत्न षट ए, संख्याता सप्तमी वट्ट ए॥ ३४. अथवा रत्न में सात ए, संख्याता सक्कर जात ए। इम जाव तथा रत्न सात ए, संख्याता सप्तमी ख्यात ए॥ ३५. अथवा रत्न में आठ ए, संख्याता सक्कर वाट ए। इम जाव तथा रत्न आठ ए, संखेज्ज सप्तमी काट ए॥ ३६. अथवा रत्न नव न्हाल ए, संख्याता सक्कर भाल ए। इम जाव तथा नव रत्न ए, संखेज्ज सप्तमी प्रपन्न ए॥ ३७. अथवा रत्न दश तास ए, संख्याता सक्कर वास ए। इम जाव तथा दश रत्न ए, संख्याता सप्तमी पन्न ए॥ ३८. अथवा रत्न संख्यात ए, संख्याता सक्कर जात ए। इम जाव तथा रत्न संख ए, संखेज सप्तमी बंक ए॥ ३६. ए रत्न थकी पहिछाण ए, षट भांगा तेह सुजाण ए। ग्यारा विकल्प करि सुविचार ए, कह्या छासठ भंगा सार ए॥ ४०. इम सक्कर थी भंग पंच ए, ऊपरली पृथ्वी संग संच ए। ग्यारा विकल्प करिने तेह ए, भंग पचपन प्रवर भणेह ए॥ ३८. अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। ४०. अहह्वा एगे सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जहा रयणप्पभा उवरिमपुढवी हिं समं चारिया एवं सक्करप्पभा वि उवरिमपुढवी हि समं चारेयव्वा । *लय : बाई ! मांग-मांग बाई ! मांग ए श०६,उ० ३२, ढाल १८७ १७६ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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