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________________ १५३. तथा वालुक इक पंके एक, दोय धूम बे तमा विशेख । तथा वालुक इक पंके एक, दोय धूम बे सप्तमी लेख ।। १५४. तथा वालुक इक पंके दोय, एक धूम बे तमा जोय । तथा वालुक इक पंके दोय, एक धूम बे सप्तमी होय ।। १५५. तथा वालुक बे पंके एक, एक धूम बे तमा पेख । तथा वालुक बे पंके एक, एक धम बे सप्तमी शेख ॥ १५६. तथा वालुक इक पंके एक, तीन धूम इक तमा उवेख । तथा वालुक इक पंके एक, तीन धम इक सप्तमी लेख ॥ १५७. तथा वालुक इक पंके दोय, दोय धूम इक तमा जोय । तथा वालुक इक पंके दोय, दोय धूम इक सप्तमी होय ॥ १५८. तथा वालुक बे पंके एक, दोय धूम इक तमा उवेख । तथा वालुक बे पंके एक, दोय धूम इक सप्तमी शेख ।। १५६. तथा वालुक इक पंके तीन, एक धम इक तमा दुचीन । तथा वालुक इक पंके तीन, एक धम इक सप्तमी लीन ॥ १६०. तथा वालुक बे पंके दोय, एक धूम इक तमा होय । तथा वालुक बे पंके दोय, एक धूम इक सप्तमी जोय ।। १६१. तथा वालुक त्रिण पंके एक, एक धूम इक तमा विशेख । तथा वालुक त्रिण पंके एक एक धूम इक सप्तमी शेख ।। ए वालुक पंक धूम थी २ भांगा, दश विकल्प करि २० भांगा कह्या । हिवै वालुक पंक तम थी १ भांगो दश विकल्प करि १० भांगा कहै छै-- १६२. तथा वालुक इक पंके एक, एक तमा त्रिण सप्तमी शेख । तथा वालुक इक पंके एक, दोय तमा बे सप्तमी शेख ।। १६३. तथा वालुक इक पंके दोय, इक तमा बे सप्तमी होय । तथा वालक बे पंके एक, एक तमा बे सप्तमी शेख ।। १६४. तथा वालुक इक पंके एक, तीन तमा इक सप्तमी पेख । तथा वालक इक पंके दोय, दोय तमा इक सप्तमी जोय । १६५. तथा वालुक बे पंके एक, दोय तमा इक सप्तमी पेख । तथा वालुक इक पंके तीन, एक तमा इक सप्तमी लीन । १६६. तथा वालु क बे पंके दोय, एक तमा इक सप्तमी होय । तथा वालक त्रिण पंके एक, एक तमा इक सप्तमी शेख ।। ए बालुक पंक तम थी १ भांगो, दश विकल्प करि १० भांगा कह्यः । ए बालु पंक थी ३ भांगा, दश विकल्प करि ३० भांगा कह्या । हिवै वालुक धूम थी १ भांगो, दश विकल्प करि १० भांगा कहै छ१६७. तथा वालुक इक धूमा एक, एक तमा त्रिण सप्तमी देख । तथा वालुक इक धूमा एक, दोय तमा बे सप्तमी शेख ।। १६८. तथा वालुक इक धूमा दोय, एक तमा बे सप्तमी होय । तथा वालुक बे धूमा एक, एक तमा बे सप्तमी पेख ।। १६६. तथा वालुक इक धूमा एक, तीन तमा इक सप्तमी शेख । तथा वालुक इक धूमा दोय, दोय तमा इक सप्तमी होय ।। १७०. तथा वालुक बे धूमा एक, दोय तमा इक सप्तमी पेख । तथा वालुक इक धूमा तीन, एक तमा इक सप्तमी लीन ।। श० ६, उ० ३२, ढाल १८३ १४३ Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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