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________________ हिवै सक्कर वालुक धूम थी२ भांगा दश विकल्प करि २० भांगा कहै छै१३७. तथा सक्कर इक वालुक एक, एक धम त्रिहं तमा विशेख । तथा सक्कर इक वालुक एक, एक धूम त्रिहुं सप्तमी शेख ।। १३८. तथा सक्कर इक वालुक एक, दोय धूम बेतमा विशेख । तथा सक्कर इक वालुक एक, दोय धूम बे सप्तमी शेख ।। १३६. तथा सक्कर इक वालुक दोय, एक धूम बे तम अवलोय । तथा सक्कर इक वालुक दोय, एक धूम बे सप्तमी सोय ।। १४०. तथा सक्कर बे वालुक एक, एक धूम बे तम उवेख । तथा सक्कर बे वालुक एक, इक धूम बे सप्तमी शेख ॥ १४१. तथा सक्कर इक वालुक एक, तीन धूम इक तमा देख । तथा सक्कर इक वालुक एक, तीन धूम इक सप्तमी शेख । १४२. तथा सक्कर इक वालुक दोय, दोय धूम इक तम अवलोय । तथा सक्कर इक वालुक दोय, दोय धूम इक सप्तमी होय ।। १४३. तथा सक्कर बे वालुक एक, दोय धूम इक तम संपेख । तथा सक्कर बे वालुक एक, दोय धूम इक सप्तमी देख ॥ १४४. तथा सक्कर इक वालुक तीन, एक धूम इक तम मलीन । तथा सक्कर इक वालुक तीन, एक धूम इक सप्तमी चीन ॥ १४५. तथा सक्कर बे वालुक दोय, एक धूम इक तम अवलोय । तथा सक्कर बे वालुक दोय, एक धूम इक सप्तमी होय ।। १४६. तथा सक्कर त्रिण वालुक एक, एक धूम इक तमा उवेख । तथा सक्कर त्रिण वालुक एक, एक धूम इक सप्तमी शेख ॥ ए सक्कर वालुक धूम थी २ भांगा, दश विकल्प करि २० भांगा कह्या । हिवै सक्कर वालुक तम थी १ भांगो, दश विकल्प करि १० भांगा कहै छ१४७. तथा सक्कर इक वालुक एक, एक तमा त्रिहं सप्तमी लेख । तथा सक्कर इक वालुक एक, दोय तमा बे सप्तमी शेख । १४८. तथा सक्कर इक वालुक दोय, एक तमा बे सप्तमी जोय। तथा सक्कर बे वालुक एक, एक तमा बे सप्तमी पेख ॥ १४६. तथा सक्कर इक वालुक एक, तीन तमा इक सप्तमी लेख । तथा सक्कर इक वालुक दोय, दोय तमा इक सप्तमी होय ।। १५०. तथा सक्कर बे वालुक एक, दोय तमा इक सप्तमी पेख । तथा सक्कर इक वालुक तीन, एकतमा इक सप्तमी चीन ।। १५१. तथा सक्कर त्रिण वालुक दोय, एक तमा इक सप्तमी सोय । तथा सक्कर त्रिण वालुक एक, एक तमा इक सप्तमी शेख । ए सक्कर वालुक तम थी १ भांगो, दश विकल्प करि १० भांगा कह्या । एवं सक्कर थी १० भांगा, दश विकल्प करि १०० भांगा कह्या। हिवै वालुक थी ४ भांगा, दश विकल्प करि ४० भांगा । वालुक थी ४, ते किसा? वालुक पंक थी ३, वालुक धूम थी १। वालुक पंक थी ३, ते किसा? वालुक पंक धूम थी २ वालुक पंक तम थी १-एवं वालुक पंक थी ३ भांगा। तिहां वालुक पंक धूम थी २ भांगा दश विकल्प करि कहै छै -- १५२. तथा वालुक इक पंके एक, एक धूम त्रिण तमा उवेख । तथा वालुक इक पंके एक, एक धूम त्रिण सप्तमी शेख ।। १४२ भगवती-जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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