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________________ देख | २४. तथा रत्न इक सक्कर एक, दोय पंक बिहुं धूमा तथा रत्न इक सक्कर एक, दोय पंक दो तमा विशेख | २५. तथा रत्न इक सक्कर एक, दोय पंक दोय सप्तमीं शेख । रत्न सक्कर नैं पंक थी चीन, द्वितीय विकल्प करि भांगा तीन ॥ २६. तथा रत्न इक सक्कर दोय, एक पंक बे धूमा होय । तथा रत्न इक सक्कर दोय, एक पंक बे तमा जोय ॥ २७. तथा रत्न इक सक्कर दोय, एक पंक बे सप्तमीं सोय । रत्न सक्कर नैं पंक थी चीन, तृतीय विकल्प करि भांगा तीन ॥ २८. तथा रत्न बे सक्कर एक, एक पंक बे धूम विशेख | तथा रत्न बे सक्कर एक, एक पंक वे तमा विशेख || २६. तथा रत्न बे सक्कर एक, एक पंक बे सप्तमी शेख । रत्न सक्कर ने पंक थी चीन, चउयं विकल्प करि भंगा तीन ।। तीन पंक इक धूमा देख | ३०. तथा रत्न इक सक्कर एक, तथा रत्न इक सक्कर एक, तीन पंक इक तमा पेख ॥ ३१. तथा रत्न इक सक्कर एक, तीन पंक इक सप्तमीं शेख । रत्न सक्कर नैं पंक थी चीन, पंचम विकल्प भंगा तीन ॥ ३२. तथा रत्न इक सक्कर दोय, दोय पंक इक धूमा होय । तथा रत्न इक सक्कर दोय, दोय पंक इक तम अवलोय | ३३. तथा रत्न इक सक्कर दोय, दोय पंक इक सप्तमीं जोय । रत्न सक्कर नैं पंक थी चीन, छठे विकल्प करि भंगा तीन ॥ ३४. तथा रत्न बे सक्कर एक, दोय पंक इक धूमा देख । तथा रत्न बे सक्कर एक, दोय पंक इक तमा लेख ॥ ३५. तथा रत्न बे सक्कर एक, दोय पंक इक सप्तमी शेख । रत्न सक्कर ने पंक थी चीन, सप्तम विकल्प भंगा तीन ॥ ३६. तथा रत्न इक सक्कर तीन, एक पंक इक धूमा चीन । तथा रत्न इक सक्कर तीन, एक पंक इक तमा लीन ॥ ३७. तथा रत्न इक सक्कर तीन, एक पंक इक सप्तमीं लीन । रत्न सक्कर ने पंक थी चीन, अष्टम विकल्प भंगा तीन ॥ ३८. तथा रत्न दे सक्कर दोय, एक पंक इक धूमा जोय तथा रत्न बे सक्कर दोय, एक पंक इक तम अवलोय || ३६. तथा रत्न बे सक्कर दोय, एक पंक इक तमतमा जोय । रत्न सक्कर नैं पंक थी चीन, नवम विकल्पे भंगा तीन ॥ ४०. तथा रत्न त्रिण सक्कर एक, एक पंक इक धूमा देख । तथा रत्न त्रिण सक्कर एक, एक पंक इक तमा विशेख | ४१. तथा रत्न त्रिण सक्कर एक, एक पंक इक सप्तमी शेख । रत्न सक्कर नैं पंक थी चान, दशम विकल्पे भंगा तीन ॥ हि रत्न सक्कर धूम थी २ भांगा दश विकल्प करि २० भांगा कहै छै - ४२. तथा रत्न इक सक्कर एक, एक धूम त्रिहुं तमा विशेख | तथा रत्न इक सक्कर एक, एक धूम त्रिहुं सप्तमी लेख || इक सक्कर एक, दोय धूम बेतमा देख । ४३. तथा रत्न बे तथा रत्न इक सक्कर एक, बे सप्तमी पेख | धूमा भगवती-जोड़ १३६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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