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________________ ४. तथा रत्न इक सक्कर एक, बे वालुक बे पंक विशेख । तथा रत्न इक सक्कर एक, बे वालुक बे धूमा लेख । ५. तथा रत्न इक सक्कर एक, बे वालुक बे तमा उवेख । तथा रत्न इक सक्कर एक, बे वालुक बे सप्तमी शेख । ६. तथा रत्न इक सक्कर दोय, एक वालुक बे पंके होय । तथा रत्न इक सक्कर दोय, इक वालुक बे धूमा जोय ।। ७. तथा रत्न इक सक्कर दोय, इक वालुक बे तम अवलोय । तथा रत्न इक सक्कर दोय, इक वालुक बे सप्तमी सोय ।। ८. तथा रत्न बे सक्कर एक, इक वालुक बे पंक विशेख । तथा रत्न बे सक्कर एक, इक वालुक बे धूमा लेख । ६. तथा रत्न बे सक्कर एक, एक वालका बे तम पेख । तथा रत्न बे सक्कर एक, एक वालुका बे सप्तमी शेख ।। १०. तथा रत्न इक सक्कर एक, त्रिण वालुक इक पंक विशेख । __ तथा रत्न इक सक्कर एक, त्रिण वालु इक धूमा देख ।। ११. तथा रत्न इक सक्कर एक, तीन वालुका इक तम लेख । तथा रत्न इक सक्कर एक, त्रिण वालुक इक सप्तमी शेख । १२. तथा रत्न इक सक्कर दोय, दोय वालुक इक पंके होय । तथा रत्न इक सक्कर दोय, दोय वालुक इक धूमा जोय ।। १३. तथा रत्न इक सक्कर दोय, दोय वालुक इक तम अवलोय । तथा रत्न इक सक्कर दोय, दोय वालक इक तमतमा जोय ।। १४. हिवै रत्न बे सक्कर एक, बे वालुक इक पंक विशेख । तथा रत्न बे सक्कर एक, बे वालुक इक धूमा लेख। १५. तथा रत्न बे सक्कर एक, बे वालुक इक तमा उवेख । तथा रत्न बे सक्कर एक, बे वालुक इक सप्तमी देख ।। १६. तथा रत्न इक सक्कर तीन, इक वालुक इक पंक दुचीन । तथा रत्न इक सक्कर तीन, इक वालुक इक धूमा लीन ।। १७. तथा रत्न इक सक्कर तीन, इक वालुक इक तमा दुचीन । तथा रत्न इक सक्कर तीन, इक वालुक इक सप्तमी लीन ।। १८. तथा रत्न बे सक्कर दोय, इक वालुक इक पंके जोय । तथा रत्न बे सक्कर दोय, इक वालुक इक धूमा होय ॥ १६. तथा रत्न बे सक्कर दोय, एक वालुका इक तम जोय । तथा रत्न बे सक्कर दोय, इक वालुक इक सप्तमी होय ।। २०. तथा रत्न त्रिण सक्कर एक, एक वालुका इक पंक देख । __ तथा रत्न त्रिण सक्कर एक, इक वालुक इक धूम उवेख । २१. तथा रत्न त्रिण सक्कर एक, इक वालुक इक तमा विशेख । तथा रत्न त्रिण सक्कर एक, एक वालुक इक सप्तमी देख ।। हिवै रत्न सक्कर पंक थी ३ भांगा दश विकल्प करि ३० भांगा कहै छै२२. तथा रत्न इक सक्कर एक, एक पंक त्रिहुं धूम विशेख । तथा रत्न इक सक्कर एक, एक पंक त्रिहुं तमा उवेख । २३. तथा रत्न इक सक्कर एक, एक पंक त्रिहं सप्तमी शेख। रत्न सक्कर नैं पंक थी चीन, धुर विकल्प करि ए भंग तीन।। श०६, उ० ३२, ढाल १८३ १३५ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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