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________________ ४४. तथा रत्न इक सक्कर दोय, एक धूम बे तमा होय । तथा रत्न इक सक्कर दोय, एक धूम बे सप्तमी जोय ।। ४५. तथा रत्न बे सक्कर एक, एक धूम बे तमा विशेख । ___तथा रत्न बे सक्कर एक, एक धूम बे सप्तमी शेख ।। ४६. तथा रत्न इक सक्कर एक, तीन धूम इक तमा उवेख । तथा रत्न इक सक्कर एक, तीन धूम इक सप्तमी शेख ।। ४७. तथा रत्न इक सक्कर दोय, दोय धूम इक तमा जोय । तथा रत्न इक सक्कर दोय, दोय धूम इक सप्तमी होय ।। ४८. तथा रत्न बे सक्कर एक, दोय धूम इक तमा शेख । तथा रत्न बे सक्कर एक, दोय धूम इक सप्तमी पेख ।। ४९. तथा रत्न इक सक्कर तीन, इक धूम इक तमा चीन । तथा रत्न इक सक्कर तीन, एक धूम इक सप्तमी लीन ।। ५०. तथा रत्न बे सक्कर दोय, एक धूम इक तम अवलोय । तथा रत्न बे सक्कर दोय, एक धूम इक सप्तमी जोय ।। ५१. तथा रत्न त्रिण सक्कर एक, एक धूम इक तमा उवेख । तथा रत्न त्रिण सक्कर एक, एक धूम इक सप्तमी लेख ।। हिवै रत्न सक्कर तम थी १ भांगो दश विकल्प करि दश भांगा कहै छै ---- ५२. तथा रत्न इक सक्कर एक, एक तमा त्रिण सप्तमी शेख । तथा रत्न इक सक्कर एक, दोय तमा बे सप्तमी लेख । ५३. तथा रत्न इक सक्कर दोय, एक तमा बे सप्तमी सोय । तथा रत्न बे सक्कर एक, एक तमा बे सप्तमी पेख ॥ ५४. तथा रत्न इक सक्कर एक, तीन तमा इक सप्तमी पेख । तथा रत्न इक सवार दोय, दोय तमा इक सप्तमी होय ॥ ५५. तथा रत्न बे सक्कर एक, दोय तमा इक सप्तमी देख । तथा रत्न इक सक्कर तीन, एक तमा इक सप्तमी लीन ।। ५६. तथा रत्न बे सक्कर दोय, एक तमा इक सप्तमी जोय । तथा रत्न त्रिण सक्कर एक, एक तमा इक सप्तमी लेख ।। हिवं रत्त बालक थी एकेक विकल्प नां ६ भांगा, ते किसा? रत्न वालुक पंक थी ३, रल वालुक धूम थी २, रल वालुक तम थी १-एवं ६ भांगा, दश विकल करि ६० भांगा। तिहां रत्त वालक पंक थो ३ भांगा दश विकल करि ३० भांगा कहै छै - ५७. तथा रत्न इक वालुक एक, एक पंक त्रिहुं धूम विशेख । तथा रत्न इक वालुक एक, एक पंक त्रिहं तमा देख ॥ ५८. तथा रत्न इक वालुक एक, एक पंक त्रिहं सप्तमी देख । रत्न वालुक नैं पंक थी चीन, धुर विकल्प करि ए भंग तीन ॥ ५६. तथा रत्न इक वालुक एक, दोय पंक बे धम उवेख । तथा रत्न इक वालुक एक, दोय पंक बे तमा विशेख ।। ६०. तथा रत्न इक वालुक एक, दोय पंक बे सप्तमी देख । रत्न वालक ने पंक थी चीन, द्वितीय विकल्प करि भंगा तीन । ६१. तथा रत्न इक वालुक दोय, एक पंक बे धूमा होय । तथा रत्न इक वालुक दोय, एक पंक बे तमा जोय ॥ श०६, उ० ३२, ढाल १८३ १३७ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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