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________________ २२. अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा। २३. अहवा एगे वालुयप्पभाए जाव एगे. अहेसत्तमाए होज्जा। (श018६२) ए उगणीसमें भांगे चउथी नरक टली । २२. तथा एक सक्कर इक पंक में, एक धम रै माय । एक तमा इक सप्तमी, वीसमों भंग कहाय ।। ए बीसमें भांगे तीजी नरक टली । ए सक्कर थी ५ भांगा कह्या । हिवै वालु थी १ भांगो कहै छै२३. तथा एक वालुक इक पंक में, एक धूम एक तम । एक सप्तमी ऊपजै, ए भंग इकवीसम ।। २४. पंचसंयोगिक ए कह्या, इकवीस भंग विचार । विकल्प एक अछ तसु, ए वच यंत्र' मझार ।। २५. *पनर रत्न थी पंच सक्कर थी, वालुक थी इक देखियै । पंच योगिक भंग ए, इकवीस ही इम लेखियै ॥ २६. पनर रत्न थो तेह इहविध, दश रत्न सक्कर थकी। रत्न वालू थी चिहुं अरु, रत्न पंक थी इक नकी ।। २७. रत्न सक्कर थकी दश इम, षट रत्न सक्कर वालु हुंती। रत्न सक्कर पंक थी त्रिण, इक रत्न सक्कर धम थी। २८. रत्न सक्कर वालु थी षट, तेह इहविध कीजिये। रत्न सक्कर वालु पंक थी, भंग तीन भणीजिये। २६. रत्न सक्कर वालु धूम थी, दोय भांगा आणिये । रत्न सक्कर वालु तम थी, भंग एक बखाणियै ॥ ३०. रत्न सक्कर वालु थी षट, प्रथम इहविध लीजियै । एम नारकि आगली पिण, पूर्व उक्तज कीजियै ।। ३१. पंच जीव नां इकसंयोगिक, सप्त भांगा जाणियै । द्विकसंयोगिक च्यार विकल्प, चोरासी भंग आणियै ।। ३२. त्रिकसंयोगिक षट विकल्पे, दोयसौ दश भंग कह्या। चउ संयोगिक च्यार विकल्प, इक सौ चाली भंगलह्या।। ३३. पंच संयोगिक एक विकल्प, भंग इकवीसे भण्या। च्यार सौनै बासठ सगला, भंग संख्या करि गिण्या ॥ ३४. +शत नवम बतीसम देश ए, एक सौ असीमी ढाल । सयाणां! भिक्षु भारीमाल ऋषिराय थी, 'जय-जश' मंगल माल ।। सयाणां! (जय-जय ज्ञान जिनेंद्र नों।) ३३. सर्वमीलने च चत्वारि शतानि द्विषष्टयधिकानि भवन्तीति । (वृ०प०४४४) १. यह धर्मसी यंत्र की सूचना है । *लय : पूज मोटा भांज तोटा 'लय : शिवपुर नगर सुहामणो पा०६, उ०३२, ढाल १८० १०५ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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