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________________ १२. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १३. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पमाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा १४. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १५. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुणभाए एगे पंकप्प भाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा हि रत्न सक्कर धूम थी १ भांगो कहै छ१२. तथा एक रत्न इक सक्करे, एक धूम तम एक । इक जीव नारकि सप्तमी, ए भंग दशम उवेख ।। ए रत्न सक्कर धूम थी १ भांगो कह्यो। एवं रल सक्कर थी १० भांगा थया। हिवं रत्न वालुक थी क्यार भांगा कहै छै–ते किसा? रन वालुय पंक थी ३, रत्न वालुय धूम थी १ । तिण में रत्न वालुय पंक थी ३, ते किसा? रत्न वालुप पंक धूम थी २ अने रत्न वालुय पंक तम थी १-एवं रत्न वालुय पंक थी ३ । तिहां रत्न वालुय पंक धूम थी २ भांगा, ते कहै छै१३. तथा एक रत्न एक वालुका, एक पंक उपजत । इक धूम एक तमा विषे, भंग इग्यारमों तंत ।। १४. तथा एक रत्न इक वालुका, एक पंक उपजेह । एक धूम इक सप्तमी, द्वादशमो भंग एह ॥ ए रत्न बालुय पंक धूम थी २ भांगा कह्या ।। हिवै रत्न वालु पंक तम थी १ भांगो कहै छ१५. तथा एक रत्न इक वालुका, एक पंक अवलोय । एक तमा इक सप्तमी, तेरसमो भंग जोय ।। ए रत्न वालुय पंक थी ३ भांगा कह्या। हिवै रत्न वालुय धूम थी १ भांगो कहै छै१६. तथा एक रत्न इक वालुका, एक धूम आख्यात । एक तमा इक सप्तमी, चउदशमो भंग थात ।। ए रत्न वालुय थी ४ भांगा कह्या। हिवै रत्न पंक थी १ भांगो कहै छै१७. तथा एक रत्न इक पंक में, एक धूम रै माय । एक तमा इक सप्तमी, भंग पनरमो पाय ।। ए रत्न थी १५ भांगा कह्या । हिवै सक्कर थी ५ भांगा कहै छ, तिणमें रत्न पांचू मेंइं टालणी अने एकेक नरक पश्नानुपूर्वी करके टालणी१८. तथा एक सक्कर इक वालुका, एक पंक पहिछाण । एक धूम में इक तमा, सोलसमो भंग जाण ।। ए सोलमें भांगे सातमी टली। १६. तथा एक सक्कर इक वालुका, एक पंक अवलोय । एक धूम इक सप्तमी, सतरसमो भंग जोय ॥ ए सतरमें भांगे छठी नरक टली। २०. तथा एक सक्कर इक वालुका, एक पंक आख्यात । एक तमा इक सप्तमी, भंग अठारम थात ।। इहां अठारमें भांगे पंचमी नरक टली। २१. तथा एक सक्कर इक वालुका, एक धूम उपजंत। एक तमा इक सप्तमी, उगणीसम भंग तंत ॥ १०४ भगवती-जोड़ १६. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १७. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा १५. अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे तमाए होज्जा, १६. अहवा एगे सक्करप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा २० अहवा एगे सक्करप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा २१. अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा Jain Education Intemational www.jainelibrary.org Jain Education Interational For Private & Personal Use Only
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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