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________________ हिवँ वालु धूम थी १ भांगो प्रथम विकल्प करि कहै छै - १ १ वालु, १ धूम, १ तम, २ तमतमा हिवै वालु धूम थी १ भांगो द्वितीय विकल्प करि कहै छै - १३३ १३४ १ १ वालु, १ धूम २ तम, १ तमतमा हिव वालु धूम थी १ भांगो तृतीय विकल्प करि कहै छै - १ १ वालु, २ धूम, १ तम, १ तमतमा हिव वालु धूम थी १ भांगो चउथे विकल्प करि कहै छे १ २ वालु, १ धूम, १ तम, १ तमतना ए वालु धूम थी १ भांगो ४ विकल्प करि ४ भांगा कह्या । एवं वालु थी ४ भांगा ४ विकल्प करि १६ भांगा का । १३५ १३६ हिवे पंक थी १ भांगो प्रथम विकल्प करि कहे छ १३७ | १ | १ पंक, १ धूम १ तम, २ हिव पंक थी १ भांगो द्वितीय विकल्प करि कहै छं | १३८ | १ १४० हिवे पंक थी १ भांगो तृतीय विकल्प करि कहै छं १३६ १ १ पंक, २ धूम, १ तम, १ तमतमा १ पंक, १ धूम २ तम, १ तमतमा हिव पंक थी एक भांगो चउथे विकल्प करि कहै छ १ २ पंक, १ धूम, १ तम, १ तमतमा ए पंक थी १ भांगो ४ विकल्प करि ४ भांगा कह्या । एवं रत्न थी २०, सक्कर थी १०, वालुक थी ४, पंक थी १, ए पैंतीस भांगा एक विकल्प नां हुवै, ते पांच जीव नां चौकसंजोगिया ४ विकल्प करि १४० भांगा कह्या । ए पांच जीव नां इकसंजोगिया ७, द्विकसंजोगिया ८४ त्रिकसंजोगिया २१०, चौकसंजोगिया १४० । एवं सर्व ४४१ भांगा कह्या । हिव पांच संजोगिया इकबीस भांगा आगल कहिसे । १०२ भगवती-जोड़ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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