SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दूजे विकल्प करि २ भांगा कहै छ--- २७. अथवा एक रत्न इक सक्कर, बे धूम इक तम पेख । अथवा एक रत्न इक सक्कर, बे धूम सप्तमी एक ।। तीज विकल्प करि २ भांगा कहै छ२८. अथवा एक रत्न बे सक्कर, इक धूम इक तम देख । अथवा एक रल बे सक्कर, इक धूम सप्तमी एक । चौथे विकल्प करि २ भांगा कहै छ२६. अथवा दोय रत्न इक सक्कर, इक धूम इक तम पेख । अथवा दोय रत्न इक सक्कर, इक धूम सप्तमी एक ।। ए रत्न सक्कर घूम नां दोय भांगा, च्यार विकल्प करि ८ भांगा कह्या । हिवै रत्न सक्कर तम थकी एक भांगो ४ विकल्प करि ४ भांगा कहै छ३०. अथवा एक रत्न इक सक्कर, इक तम सप्तमी दोय । रत्न सक्कर में तमा थकी ए, पहिले विकल्प जोय । ३१. अथवा एक रत्न इक सक्कर, बे तम सप्तमी एक । रत्न सक्कर में तमा थकी ए, दूजे विकल्प देख ।। ३२. अथवा एक रत्न बे सक्कर, इक तम सप्तमी एक ।। रत्न सक्कर में तमा थकी ए, तीजै विकल्प लेख ।। ३३. अथवा दोय रत्न इक सक्कर, इक तम सप्तमी एक । रत्न सक्कर ने तमा थकी ए, चोथे विकल्प पेख ।। ए रत्न सक्कर तम थकी १ भांगो च्यार विकल्प करि ४ भांगा कह्या । एवं रत्न सक्कर थकी १० भांगा च्यार विकल्प करि ४० भांगा कह्या । वा०-- हिवं रत्न वालु थकी छ भांगा हुवे, ते किसा? रत्न वालु पंक थकी ३, रत्न वालू धूम थकी २, रत्न वालू तम थकी १ एवं-रल वालू थकी ६, ते ४ विकल्प करि चउवीस भांगा हुवं । तिहां रत्न वालु पंक थकी ३ भांगा प्रथम विकल्प करि कहै छ३४. अथवा एक रत्न इक वालुक, एक पंक बे धूम । अथवा एक रत्न इक वालुक, एक पंक बे तम बम ।। ४५. अथवा एक रत्न इक वालुक, इक पंक सप्तमी दोय । रत्न वालुका पंक थकी त्रिण, धुर विकल्प ए होय ।। दूजे विकल्प करि ३ भांगा कहै छ३६. अथवा एक रत्न इक वालुक, दोय पंक इक धूम। अथवा एक रत्न इक वालुक, बे पंक इक तम बम ।। ३७. अथवा एक रत्न इक वालुक, बे पंक सप्तमी एक । रत्न वालुक - पंक थवी त्रिण, दूजे विकल्प देख ।। तीज विकल्प करि ३ भांगा कहै छ३८. अथवा एक रत्न बे वालुक, एक पंक इक धूम। अथवा एक रत्न बे बालुक, इक पंक इक तम ब्रूम ॥ ३६. अथवा एक रत्न बे वालुक, इक पंक सप्तमी एक । रत्न वालक ने पंक थकी त्रिण, तीज विकल्प लेख । ०६. उ० ३२, दाल १७६१ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy