SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चोथे विकल्प करि ३ भांगा कहै छ४०. अथवा दोय रत्न इक वालुक, एक पंक एक धूम । अथवा दोय रत्न इक वालुक, इक पंक इक तम बम ।। ४१. अथवा दोय रत्न इक वालुक, इक पंक सप्तमी एक । रत्न वालक में पंक थकी त्रिण, चोथै विकल्प लेख ।। हिवं रत्न वालुक नै धूम थकी २ भांगा ४ विकल्प करि आठ भांगा कहै छै। प्रथम विकल्प करि २ भांगा कहै छ४२. अथवा एक रत्न इक वालुक, इक धूम बे तम होय । अथवा एक रत्न इक वालुक, इक धूम सप्तमी दोय ॥ दूज विकल्प करि २ भांगा कहै छ४३. अथवा एक रत्न इक वालुक, बे धूम इक तम पेख । __ अथवा एक रत्न इक वालक, बे धम सप्तमो एक । तीज विकल्प करि २ भांगा कहै छ४४. अथवा एक रत्न बे वालुक,इक धूम इक तम पेख । अथवा एक रत्न बे वालुक, इक धूम सप्तमी एक ।। चौथे विकल्प करि २ भांगा कहै छै४५. अथवा दोय रत्न इक वालक, इक धम इक तम पेख । अथवा दोय रत्न इक वालुक, इक धूम सप्तमी एक ।। ए रत्न वालुक धूम थकी २ भांगा ४ विकल्प करि आठ भांगा क ह्या । हिवं रत्न वालुक तमा थकी १ भांगो हुवे, ते ४ विकल्प करि ४ भांगा कहै छै४६. अथवा एक रत्न इक वालुक, इक तम सप्तमी दोय । रत्न वालुक मैं तमा थकी ए, पहिलै विकल्प होय । ४७. अथवा एक रत्न इक वालक, बे तम सप्तमी एक । रत्न वालुका तमा थकी ए, दूजै विकल्प पेख ॥ ४८. अथवा एक रत्न बे वालुक, इक तम सप्तमी एक । रत्न वालुका तमा थकी ए, तीजै विकल्प लेख ॥ ४६. अथवा दोय रत्न इक वालुक, इक तम सप्तमी एक। रत्न वालुका तमा थकी ए, चोथै विकल्प देख ।। ए रत्न वालुक तम थकी एक भांगो हुवै ते च्यार विकल्प करि ४ भांगा कह्या । एवं रत्न वालुक थकी छ भांगा हुवं, ते ४ विकल्प करि २४ भांगा काया। वा०----हिवै रत्न पंक थकी तीन भांगा हुवं ते किसा? रत्न पंक धूम थकी २ भांगा, रत्न पंक तम थकी १ भांगो, एवं रत्न पंक थकी ३ भांगा हुदै । ते च्यार विकल्प करि १२ भांगा कहै छ। तिणमें प्रथम रत्न पंक धूम थकी २ भांगा च्यार विकल्प करि हुवं, ते कहै छै५०. अथवा एक रत्न इक पंके, इक धूम बे तम होय । अथवा एक रत्न इक पंके, इक धूम सप्तमी दोय ।। दूज विकल्प करि २ भांगा कहै छै५१. अथवा एक रत्न इक पंके, बे धूम इक तम पेख । अथवा एक रत्न इक पंके, बे धूम सप्तमी एक ।। ६२ भगवती-जोड .. . Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy