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________________ १४, अहवा दो रयणभाए एगे सक्करप्पभाए एगे बालु यप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा १५-१७. जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । १२. अथवा एक रत्न बे सक्कर, वालुक मांहे एक । नरक छट्ठी में एक ऊपजै, भंग ग्यारमों लेख । १३. अथवा एक रत्न बे सक्कर, वालुक मांहे एक । एक सप्तमी नरक ऊपज, द्वादशमो भंग देख ।। हिवै रत्न सक्कर वालुक थकी चोथै विकल्प करि ४ भांगा कहै छ१४. अथवा दोय रत्न इक सक्कर, इक वालुक अवलोय । पंकप्रभा में एक ऊपज, तेरसमों भंग होय ॥ १५. अथवा दोय रत्न इक सक्कर, एक वालुक अवलोय । धूमप्रभा में एक ऊपजै, चवदशमों भंग जोय ॥ १६. अथवा दोय रत्न इक सक्कर, एक वालुक अवलोय । छठी नरक में एक ऊपजै, भंग पनरमों सोय ।। १७. अथवा दोय रत्न इक सक्कर, एक वाल अवलोय । एक सातमी नरक ऊपजै, भंग सोलमों होय ॥ हिवं रत्न सक्कर पंक थकी तीन भांगा, ते च्यार विकल्प करि बार भांगा। तिहां प्रथम विकल्प करि ३ भांगा कहै छ१८. अथवा एक रत्न इक सक्कर, एक पंक बेधुम। अथवा एक रत्न इक सक्कर, इक पंक बे तम ब्रम ।। १६. अथवा एक रत्न इक सक्कर, इक पंक सप्तमी दोय । रत्न सक्कर नै पंक थकी त्रिण, पहिले विकल्प होय ।। हिवै रत्न सक्कर पंक थकी दूजै विकल्प करि ३ भांगा कहै छै२०. अथवा एक रत्न इक सक्कर, दोय पंक इक धूम । अथवा एक रत्न इक सक्कर, बे पंक इक तम बम । २१. अथवा एक रत्न इक सक्कर, बे पंक सप्तमी एक । रत्न सक्कर नैं पंक थकी त्रिण, बीजै विकल्प देख ॥ हिवै रत्न सक्कर पंक थकी तीजै विकल्प करि ३ भांगा कहै छै२२. अथवा एक रत्न बे सक्कर, एक पंक इक धम । अथवा एक रत्न बे सक्कर, इक पंक इक तम ब्रम। २३. अथवा एक रत्न बे सक्कर, इक पंक सप्तमी एक । रत्न सक्कर नैं पंक थकी त्रिण, तीजै विकल्प लेख ॥ हिवै रत्न सक्कर पंक थकी चौथे विकल्प करि ३ भांगा कहै छै२४. अथवा दोय रत्न इक सक्कर, एक पंक इक धम । अथवा दोय रत्न इक सक्कर, इक पंक इक तम ब्रम ।। २५. अथवा दोय रत्न इक सक्कर, इक पंक सप्तमी एक । रत्न सक्कर - पंक थकी त्रिण, चोथे विकल्प पेख ॥ ए रत्न सक्कर पंक थकी ३ मांगा हुवं । ते च्यार विकल्प करि १२ भांगा कह्या। हिवं रत्न सक्कर में धूम थकी दोय भांगा च्यार विकल्प करि ८ भांगा कहै छ प्रथम विकल्प करि २ भांगा कहै छै२६. अथवा एक रत्न इक सक्कर, इक धूम बे तम होय । अथवा एक रत्न इक सक्कर, इक धूम सप्तमी दोय ।। १८. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंक प्पभाए दो धूमप्पभाए होज्जा १६-१०५. एवं जहा च उल्हं चउक्कसंजोगो भणिओ तहा पंचण्ह वि च उक्कसंजोगो भाणियन्वो नवरं-अब्भहियं एगो संचारेयव्वो, एवं जाव अहवा दो पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। ६० भगवती जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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