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________________ हिवै वालु पंक थी ३ भांगा छठे विकल्प करि कहै छ १६६ ३ वालुक, १ पंक, १ धूम १६७ १६६ १६८ ए वालु पंक थी तीन भांगा ६ विकल्प करि १८ भांगा कह्या । हिव वालु धूम थी २ भांगा, ते ६ विकल्प करि १२ भांगा हुवै । तिहां वालु धूम थी २ भांगा प्रथम विकल्प करि कहै छै - १७६ १ २ १७८ ३ १७६ १ १७० १ वालुक, १ धूम, ३ तमतमा हिवै वालु धूम थी २ भांगा दूजै विकल्प करि कहै छँ - १७१ १७२ १ वालुक, २ धूम, २ तमतमा हिवै वालु धूम थी २ भांगा तीज विकल्प करि है छँ १८० २ १ २ १ १७३ | १७४ २ वालुक, १ धूम, २ तमतमा हिव वालु धूम थी २ भांगा चोथे विकल्प करि कहै छँ १७५ २ १ ३ वालुक, १ पंक, १ तम ३ वालुक, १ पंक, १ तमतमा १ २ १ वालुक, ३ धूम, १ तमतमा हिव वालु धूम थी २ भांगा पंचमैं विकल्प करि कहै छै - १७७ २ वालुक, २ धूम, १ तम २ १ वालुक, १ धूम, ३ तम २ १ वालुक, २ धूम, २ तम २ वालुक, १ धूम २ तम २ वालुक, २ धूम, १ तमतमा हिव वालु धूम थी २ भांगा छठे विकल्प करि कहै छ १ ३ वालुक, १ धूम, १ तम १ वालुक, ३ धूम, १ तम ३ व लुक, १ धूम, १ तमतमा ए वालु धूम थी २ भांगा ६ विकल्प करि १२ भांगा कह्या । Jain Education International हि वालु तम थी १ भांगो, ते ६ विकल्प करि ६ भांगा हुवै । तिहां प्रथम विकल्प करि कहै छँ १-१ १ वालुक, १ तम, ३ तमतमा हिव वालु तम थी १ भांगो दूर्जे विकल्प करि कहै छँ १ वालुक, २ तम, २ तमतमा हिव वालु तम थी १ भांगो तीज विकल्प करि कहै छै - १८२ १८३ १ २ वालुक, १ तम, २ तमतमा हिव वालु तम थी १ भांगो चोथे विकल्प करि कहै छे १८४ १ १ वालुक, ३ तम, १ तमतमा हिव वालु तम थी १ भांगो पंचमें विकल्प करि कहै छँ १८७ १ १८५ १ २ वालुक, २ तम, १ तमतमा हिवै वालुक, तम थी १ भांगो छठें विकल्प करि कहै छ -- १ ३ वालुक, १ तम, १ तमतमा १८६ एवं वालु थी ६ भांगा, ते ६ विकल्प करि ३६ भांगा थया । हि पंक थी ३ भांगा, एक-एक विकल्प करि हुवं, ते पंक धूम थी २, पंक तम थी १ एवं पंक थी ३, छ विकल्प करि १८ भांगा हु | तिहा पंक धूम थी २ भांगा प्रथम विकल्प करि १८८ १ १-६ १ पंक, १ धूम, ३ तमतमा हिव पंक धूम थी २ भांगा दूजे विकल्प करि कहै छ १ पंक, २ धूम, २ तम १६१ १६२ १ For Private & Personal Use Only २ १६० १ पंक, २ धूम, २ तमतमा हिव पंक धूम थी २ भांगा तीज विकल्प करि कहै छे १ २ १ पंक, १ धूम ३ तम १ २ २ पंक, १ धूम, २ तम २ पंक, १ धूम, २ तमतमा श० ६, उ० ३२, ढाल १७८ ८७ www.jainelibrary.org
SR No.003619
Book TitleBhagavati Jod 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages490
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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