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________________ | ११ में बांधस्य उपशांत मोह प्रथम १ २ भवाकर्ष रै सन्दर्भ में ईरियावहि कर्म-बन्ध नों यन्त्र बंधी बंधह बंधिस्सइ ११ में बांध्यो ११ में बांधै | ११ में बांधस्य भंगो १३ में बांध | १४ में, सिद्ध न क्षीण मोह बांधस्यै | १० में न बांधे ११,१२,१३ में उपशम थी पड्यां १० ३ बांधस्य में गुणठाणे १४ में न बांध सिद्ध न बांधस्यै । क्षीण मोह अजोगी न बांध्यो । ११ में बांध ११,१२,१३ में उपशांत मोह बांधस्यै १३ में बांध सिद्ध न बांधस्य क्षीण मोह न बांध ११,१२,१३ बांधस्यै ।। भव्य न बांधस्यै अभव्य ११६. गहणागरिसं पडुच्च अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ गीतक-छंद ११४. बहु भवां आश्री कर्म जे, इरियावही बंध आखियो । इम भंग आठ उदार सार, विचारवे इहां दाखियो । ११५. जे भवाकर्षज पाठ ए, बहु भवां आश्री जाणियै । ग्रहणाकर्षज पाठ ते, भव एक नो हिव आणियै ।। ११६. *ग्रहणाकर्ष एक भव विषे, कोइक जीव पिछाणी । बांध्या बांध बांधस्यै, प्रथम भंग ए जाणी। ११७. इम यावत कोइ जीवड़ो, नहिं बांध्यो काल अतीतो । बांधे नैं वलि बांधस्यै, ए पंचम भंग वदीतो।। ११८. गये काले बांध्या नहीं, वर्तमान बांधतो । अनागत नहिं बांधस्यै, ए छठो भांगो नहिं हंतो।। ११६. कोइ एक जे जीवड़ो, न बांध्यो अवलोयो । नहिं बांध में बांधस्यै, ए सप्तम भंगो होयो। १२०. कोइ एक जे जीवड़ो, न बांध्यो गये कालो। न बांधे नहिं बांधस्यै, ए अष्टम भंग न्हालो॥ ११७. एवं जाव अत्थेगतिए न बंधी बंधइ बंधिस्सइ ११८. नो चेव णं न बंधी बंधइ न बंधिस्सद ११६. अत्यंगतिए न बंधी न बंधइ बंधिस्सइ १२०. अत्यंगतिए न बंधी न पंधइन बंधिस्सइ (श०८/३०६) १२१, १२२. एकस्मिन्नेव भवे ऐर्यापथिककर्मपृद्गलानां ग्रहणरूपो य आकर्षोऽसौ ग्रहणाकर्षः (वृ० प० ३८६) सोरठा १२१. ग्रहणाकर्षज ताय, जेह एक भव नैं विषे । उपशम आदि कहाय, श्रेणि पामवै करि तिको ।। १२२. इरियावहि जे कर्म, तेहनं आकर्ष बांधवो । वर्तमान भव मर्म, ते आश्री भंग सप्त ह॥ १२३. छठो भांगो नहिं होय, वक्तव्यता भंग सात नी । कहियै छै अवलोय, इक भव बंध इरियावही ॥ *लय : राम सोही लेब सीता तणी श०८, उ०८, ढा० १५० ४४९ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003618
Book TitleBhagavati Jod 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1986
Total Pages582
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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