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________________ ३६. काल अतीत करा जे हिंसा, अनिदवे करि जाण । वर्तमान करावं ते हिंसा, तेह सरीखी ३७. गये काल अनुमोदी जे हिंसा, अनिंदवं वर्तमान अनुमोदं ते जिसी, न्याय वा० - इहां यथासंख्य ते अनुक्रम न्याय नथी । न करें मन करिकै, न करावे वचन करिकै, नहीं अनुमोदै काया करिकै इण प्रकार करिकै न कह्य ं । सर्व न्याय वली आगल कहिस्यै ते विकल्प नां अयोग्यपणां 1 वक्ता नैं वंछा आधीनपणां थकी थकी । माण || करी जेह । विचारी लेह ॥ ३५. अंक तेतीस तणो इहविधे, आस्यो भांगो एक । अंक बतीस तणां कहियै हिवै, भांगा तीन विशेख ॥ ३६. त्रिविध दुविध करि पडिकमतो थको, न करें करावै नांहि । करतां प्रति जे अनुमोदन नहीं, मन कर बच कर ताहि ॥ ४०. अथवा न करें ने नहीं कारवे, करतां प्रति बलि जाण । अनुमोद नहि मन काया करी, द्वितीय भंग पहिचान || ४१. अथवा न करे में नहीं कारने करतां प्रति अवलोय | अनुमोद नहीं बच काया करो, तृतीय भंग ए होय ॥ ४२. अंक बतीस वणां ए आखिया, भांगा तीनू एम। इस अंक तणां भंग त्रिण हुवै, सांभलज्यो धर प्रेम ॥ ४३. विविध एकविध पदिकमते छते न करें नहीं कराय । करतां प्रति पति अनमोद नहीं, मन कर धुर भंग वाय ।। ४४. अथवा न करें नैं नहि कारवे, करतां प्रति वलि तेह | अनुमोद नहि वच जोगे करी, द्वितीय भंग से एह । ४५. अथवा न करें नैं नहि कारवै, करतां प्रति वलि तेम । अनुमोदं नहि कावाई करो, तृतीय भंग खै तेम ॥ ४६. भांगा तीन कला इकतीस नां, हिवे तेवीस नौ अंक | तास भंग हिव तीन कहूं अछ, सांभलज्यो त संक ।। ४७. दुविध - त्रिविध करि पडिकमते छते, न करै नांहि कराय । मन वच काया ए त्रिहुं जोग थी, प्रवर भंग धुर पाय ॥ ४८. अथवा न करें न करता प्रसे मन वच कायाई भंग दूसरे ४६. अथवा न करावे करतां प्रतै, अनुमोद नौह ताय । काल अतोत पेशाय ॥ नहिं ताम । अनुमोदं मन वच कायाई भंग तीसरे, निदवे करने आम || ५०. अंक तेवीस तणां ए आखिया, तंत भंग ए तीन । नव भंग अंक बावीस तणां हिवै, सुणज्यो धर आकोन' ॥ ५१. दुविध दुविध करि पडिकमते छते, न करें नहीं कराय । मणसा वयसा वे जोगे करी, ए घर धुर भांगो १. कोन, विश्वास थाय ।। Jain Education International वा० न चेह यथासंख्यन्यायो न करोति मनसा न कारयति वचसा नानुजानाति कायेनेत्येोऽनुसरणीयो, वात्सर्वन्यायानां वक्ष्यमाणविकल्पा( वृ० प० २७१) योगाच्चेति । ३६. तिविहं विषं पक्किममाणे न करे, न कारखेड, करें नाणुजाण मणसा वयसा । ४०. अहवा न करेइ न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा, ४१. अह्वा न करेइन कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा ४३. तिविहं एगविणं पडिक्कममाणे न करेइ न कारवेइ करें नाणुजाण मणसा । ४४. अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ वयसा ४५. अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ कायसा ४७. दुविहं तिविष पान करे, न कारवेद, मणसा, वयसा, कायसा । ४८. अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा, वयसा, कायसा ४६. अहह्वा न कारवेइ, करेतं नाणुजाणइ मणसा, वयसा, कायसा ५१. दुविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ न कारवेश मणसा वयसा For Private & Personal Use Only श० ८, उ०५, ढा० १४२ ३६१ www.jainelibrary.org
SR No.003618
Book TitleBhagavati Jod 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1986
Total Pages582
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size17 MB
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