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________________ २१. २२. 'धर्माधर्म आकाश, जीवास्ति नैं काल ए। अगुरुलघु सुविमास, प्रथम शतक नवमें कह्यो।। बलि जीवास्तिकाय, तेह अरूपी भगवती। वर्णादिक नहिं पाय, द्वितिय शतक दशमें कह्यो ।। तिण कारण पहिछाण, जीव प्रतै गुरुलघु कह्यो। औदारिकादिक जाण, च्यार शरीर अपेक्षया' ।। (ज० स०) २३. २४. सेत्तं खंदगा ! दव्वओ जीवे सअंते, खेत्तओ जीवे सते, कालओ जीवे अणते, भावओ जीवे अणंते । (श० २।४६) *एतले द्रव्य थकी वारू, अंत सहित ए जीव कहीजै इक वचने चारू । क्षेत्र थी अंत-सहित कहिये, काल थकी ए. अंत-रहित छै प्रवर न्याय लहिये । भाव थी अंत-रहित जोवो, ए चिहविध करि जीव कह्यो प्रभ विमल ज्ञान दीवो। द्वितिय प्रश्नोत्तर ए जानी, ज्ञान-घटा उमटी, प्रगटी जिन-छटा जबर जानी।। जिके पिण खंधक तव पृच्छा, अंत-सहित ए सिद्धी छै के अंत-रहित ? इच्छा। __ तास पिण एह अर्थ थाई, म्हैं चिहं विधा परूपी सिद्धी सांभल चित ल्याई। द्रव्य थी एक सिद्धि थुणिजै, अंत सहित छै सिद्ध-शिला हिव क्षेत्र थकी सुणिजै। पैतालिस लख जोजन ताजी, लांबी चौड़ी मुक्ति-शिला छै त्रिगुणि परिधि जाझी। ___ मान तसु आगल कहिवा नी, ज्ञान-घटा उमटी, प्रगटी जिन-छटा जबर जानी।। कोड इक बंयालीस लाख, तीस महंस बे सय गुणपच्चा जोजन श्रत साखं । परिधि किंचित अधिकी लेखो, क्षेत्र थकी फून छै तसं अतज विमल नयण देखो। काल अरु भाव थकी गुणवी, लोक तणो विस्तार कह्यो तिम अंत-रहित भणवो। बदै जगतारक जिन वानी, ज्ञान-घटा उमटी, प्रगटी जिन-छटा जबर जानी।। २५, २६. जे वि य ते खंदया ! पुच्छा कि सअंता सिद्धी? अणंता सिद्धी? तस्स वि य णं अयमठे। एवं खलु मए खंदया ! चउबिहा सिद्धी पण्णत्ता, तं जहा--दव्बओ, खेत्तओ, कालओ, भावओ। दव्वओ णं एगा सिद्धी सअंता। खेत्तओ णं सिद्धी पणयालीस जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं, एगा जोयणकोडी...बायालीसं च सयसह साइं तीसं च सहस्साइं दोण्णि य अउणापन्नजोयणसए किचि विसेसाहिए परिक्खेवणं पण्णता, अत्थि पुण से अते। कालओ य भावओ य जहा लोयस्स तहा भाणियब्बा । नत्थि पुण सा अंता। *लय-सुगुरु की सीख हिय धरना रे श०२, उ०१, ढा०३४ २१३. Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003617
Book TitleBhagavati Jod 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1981
Total Pages474
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size25 MB
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