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१७. हे प्रभु ! ए किम वारता?, तब भाखै जिनरायो। १७. से कहमेयं भंते ! एवं? ए अन्यतीथि - परूपणा, मिथ्या-झूठ कहिवायो।। गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव
वेदणं वेदेति-इति वत्तब्बं सिया। जे ते एबमासु,
मिच्छा ते एवमाहंसु। १८. हूं पिण गोयम ! इम कहूं, चलिवा लागू ते चलियूं। १८. अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि, एवं भासेमि, एवं जाव निर्जरिवा लागो तसं, कहिव तास निर्जरियं ।। पण्णवेमि, एवं परूदेमि-एवं खलु चलमाणे चलिए।
जाव निजरिज्जमाणे निज्जिण्णे। १६. परमाण बे मिल एकठा, ज्यारे स्नेहकाय बंध पायो। १६. दो परमाणुपो गला एगयओ साहणंति, ते बेहुँ भेदज पामता, इक इक परमाणु थायो ।। कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति?
दोण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति । ते भिज्जमाणा दुहा कज्जंति। दुहा कज्ज मागा एगयओ परमाणुपोग्गले
एगयओ परमाणुपोग्गले भवति । २०. परमाण त्रिण मिल एकटा, छै स्नेह पर्याय नी रासो। २०. तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, कम्हा भेद पामता ते हवै, द्विविध विविध तासो।। तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति? तिण्हं
परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिष्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति। ते भिज्जमाणा
दुहा वि, तिहा वि कज्जति। २१. द्विविध एक परमाणुयो, द्विप्रदेशी खंध एको।
२१. दुहा कज्जमाणा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएजे भेद पाम्यां त्रिविध हवै, तो तीन परमाणु विशेखो।।
सिए खंधे भवति । तिहा कज्जमाणा तिष्णि परमाणु
पोग्गला भवंति। २२. इम यावत् पंच परमाणुया, एकठा मिल खंध होयो। २२. एवं चत्तारि । पंच परमाणपोग्गला एगयओ साहणंति । खंध पिण तेह असासतो, सदा पुष्ट हीन जोयो।। एगयओ साहणित्ता खंधत्ताए कति। खंधे वि य णं से
असासए सया समितं उवचिज्जइ य, अवचिज्जइ य । वाल-पांच परमाणुया एकठा मिली,कर्मपण हुई ते पिण मिथ्या। जे भणी ते पंच
वा०-पञ्च पुद्गलाः संहताः कर्मतया भवन्ति, तदप्यपरमाणुया ना खंध मात्र थइ सके, पिण कर्मपणुं नहीं। कर्म नों तो अनंत परमाणुमय संगत, कर्मणोऽनन्तपरमाणुतयाऽनन्तस्कंधरूपत्वात, अनंत प्रदेशी खंध रूपपणों छ। तथा वली कर्म नों जीव नै आवरवा नो स्वभाव पञ्चाणु कस्य च स्कन्धमानत्वात्, तथा कर्म जीवावरणछ। ते पंच परमाणु स्कंधमात्र छतो असंख्यात जीव नां प्रदेश नैं किम आवर? ते स्वभावमिष्यते, तच्च कथं पञ्चपरमाणस्कन्धमात्ररूपं भणी तेहनों कथन मिथ्या।
सदसङ्खघातप्रदेशात्मक जीवमावृणुयादिति।
(वृ०-प० १०५) २३. वोल्यां पहिली भाषा नहीं, बोलवा मांडी ते भासा। २३. पुयि भासा अभासा, भासिज्जमाणी भासा भासा,
भाषा समय उलंध्यां पछै, भासा न कहिये तासा ।। भासासमयवितिक्कंतं च णं भासिया भासा अभासा। २४. जे बोल्यां पहिली भाषा नहीं, भासिज्जमाणी भाषा कहियै । २४, २५. जा सा पुब्बि भासा अभासा । भासिज्जमाणी भासा
भाषा समय उलंध्यां भाषा नहीं, प्रश्न दोय हिव लहिये। भासा, भासासमयवितिक्कतं च णं भासिया भासा २५. ते स्यूं भासक थी भाषा अछ, के अभापक थो भाषा होयो? अभासा । सा कि भासओ भासा? अभासओ भासा?
भाषक थी भाषा हुवै, अभाषक थी भाषा न कोयो।। भासओ णं भासा, नो खलु सा अभासओ भासा। २६. क्रिया पहिला दुख हेतु नहीं, क्रिया करता दुख हेतु कहिये । २६, २७. पुब्वि किरिया अदुक्खा, जहा भासा तहा भाणि
क्रिया समय गयां दुख हेतु नहीं, जिम भाषा तिम क्रिया उचरिय ।। यव्वा किरिया वि जाव करणओ णं सा दुक्खा। नो २७. जाव किया कियां थी दुख हुवै, अणकीधा दुख नाही। खलु सा अकरणओ दुक्खा--सेवं वत्तब्वं सिया।
ते इम कहि छै सही, चउथा प्रश्न रै मांही॥
१८४ भगवती-जोड़
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