________________
३. बे परमाणु एकठा नहिं मिले, किम कारण मिले नाहीं? ३. दो परमाणुगोग्गला एगयओ न साहण्णंति, अति सूक्ष्म तिण कारण, नहीं स्नेहकाय तिण माही ।। कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ न साहण्णंति ?
दोहं परमाणुपोग्गलाणं नत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो
परमाणुपोग्गला एगयओ न साहण्णंति । ४. त्रिण परमाणु भेला मिले, स्नेहकाय तिण माही। ४. तिष्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, ते भेद्यां द्विविध त्रिविधे, बे त्रिण भागज थाई॥ कम्हा तिष्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति ?
तिण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति ।
ते भिज्जमाणा दुहा वि, तिहा वि कति । ५. बे भागे करतां छतां, दोढ़-दोढ़ इम होयो।
५. दुहा कज्जमाणा एगयओ दिवड्ढे परमाणुपोग्गले भवइत्रिण भागे करतां थकां, तीइ जू-जूआ जोयो।। एगयओ वि दिवड्ढे परमाणुपोग्गले भवइ ।
तिहा कज्जमाणा तिष्णि परमाणुपोग्गला भवति । ६. इम जावत् परमाणुया, च्यार पंच मिल ताह्यो। ६, ७. एवं चत्तारि। पंच परमाणुपोग्गला एगयओ साह
ते खंध रूप हुवै अछ, ते बलि खंध कहायो।। ण्णंति, एगयओ साहणित्ता दुक्खत्ताए कज्जति । दुक्खे दुख हेतु कर्मपण हुवै, दुख पिण सास्वतो तेही। वि य णं से सासए सया समितं उवचिज्जइ य, अव
सदा परिमाण सहित ते, चय उपचय हुवै जेही॥ चिज्जइ य। ८. बोन्यां पहिली भाषा कहै, बोलता न कहै भासा।। ८. पुब्बि भासा भासा। भासिज्जमाणी भासा
बोल्यां पछै भाषा कहै, ए तसं मत नी आसा॥ अभासा । भासासमयवितिक्कतं च णं भासिया भासा। है. जे बोल्यां पहिली भाषा कहै, बोलतां भाषा न आखै । ६, १०. जा सा पुवि भासा भासा। भासिज्जमाणी भासा
बोल्यां पछै भाषा कहै, प्रश्न दोय हिव दाखै ।। अभासा । भासासमयवितिक्कतं च णं भासिया भासा। १०. भासक तणी भाषा अछ, के अभासक नी भापा कहिये ? सा कि भासओ भासा? अभासओ भासा? अभासओ णं अभासक नी भाषा कहै, भासक नी भाषा न लहिये ।। सा भासा । नो खलु सा भासओभासा।
क्रिया करी, कीधा पहिला दुख हेतू। ११. पुब्वि किरिया दुक्खा । कज्जमाणी किरिया अदुक्खा । वर्तमान क्रिया दुख हेतु नहीं, क्रिया समय गयां दुख केतू ॥ किरियासमयवितिक्कंतं च णं कडा किरिया दुक्खा। १२. जे क्रिया कीधा पहिलां दुख कहै, क्रिया करतां दुख हेतु नांही। १२, १३. जा सा पुवि किरिया दुक्खा । कज्जमाणी किरिया क्रिया कीधां पछै दुख हेतु कहै, प्रश्न दोय हिव त्याही ।।
अदुक्खा। किरियासमयवितिक्कतं च णं कडा किरिया, १३. क्रिया करण थकी स्यूं दुख हुवै ? के अणकरिवा थी दुख ल हिये ।
दुक्खा । सा कि करणओ दुक्खा? अकरणओ दुक्खा?
अकरणओ णं सा दुक्खा । नो खलु सा करणओ दुक्खाअणकरिवा थी दुख कहै, करिया थी दुख नहीं गहियै ॥
सेवं वत्तव्वं सिया। १४. अणकीधो दुख कारण कर्म ते, ए आगामि काल पेक्षायो। १४. अकिच्चं दुक्खं, अफुसं दुक्खं, ___ अणकरिवा माटे अणफशियो, दुख कारण कहिवायो।।
'अकृत्यम्' अनागतकालापेक्षयाऽनिर्वर्तनीयं जीवैरिति... तथाऽकृतत्वादेवास्पृश्यम्-अबन्धनीयम् ।
(वृ०-५० १०४) १५. दूख नों कारण कर्म ते, न करै वर्तमान कालो। १५. अकज्जमाणकडं दुक्खं, ___गये काले कीधो नहीं, ते दुख हेतु न्हालो।।। क्रियमाणं वर्तमानकाले कृतं चातीतकाले तन्निषेधाद
क्रियमाणकृतम्
(वृ०-५० १०४) १६. प्राण भूत जीव सत्व ते, अणकोधा पुन्य पापो। १६. अकटु-अकटु पाण-भूय-जीव-सत्ता वेदणं वेदेतिसर्व जीव भोगवै अछ, ए पंचम प्रश्न नी थापो।। इति वत्तव्वं सिया।
(श० ११४४२)
श०१, उ०१०, ढा०२६ १८३
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org