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________________ दूसरा प्रकरण : प्रत्यक्ष ज्ञान : सूत्र २३ ४५ संख्यातवर्ष आयुष्य वाले कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के होता है। असंयत सम्यक्दृष्टि-पर्याप्तक संख्यात वर्ष आयुष्य वाले कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के और संयतासंयत सम्यक्दृष्टि-पर्याप्तक संख्यात वर्ष आयुष्य वाले कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के नहीं होता। यदि संयत-सम्यक् दृष्टि-पर्याप्तक संख्यात वर्ष आयुष्य वाले कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के होता है तो क्या प्रमत्तसंयतसम्यकदृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्ष आयुष्य वाले कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के होता है अथवा अप्रमत्तसंयत सम्यक्दृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्ष आयुष्य वाले कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के ? पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्म- पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिजभमिय-गब्भवक्कंतियमणुस्साणं, गर्भावक्रान्तिकमनुष्याणां, नो असंयतनो असंयय-सम्मदिदि-पज्जत्तग- सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्कसंखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय- कर्मभूमिज-गर्भावक्रान्तिकमनुष्याणां, गब्भवक्कंतियमणुस्साणं, नो नो संयतासंयत-सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तकसंजयासंजय-सम्मदिट्टि-पज्जत्तग- संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज-गर्भावसंखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय- क्रान्तिकमनुष्याणाम् । गब्भवक्कंतियमणुस्साणं। जइ संजय-सम्मदिट्टि-पज्जत्तग- यदि संयत-सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तकसंखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय- संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज-गर्भावगब्भवक्कंतियमणुस्साणं-कि क्रान्तिकमनुष्याणां-किं प्रमत्तसंयतपमत्तसंजय-सम्मदिट्ठि-पज्जत्तग- सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्कसंखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भ- कर्मभूमिज-गर्भावक्रान्तिकमनुष्यावक्कंतियमणुस्साणं? अपमत्त- णाम् ? अप्रमत्तसंयत-सम्यग्दृष्टिसंजय-सम्मदिदि-पज्जत्तग-संखेज्ज- पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिजवासाउय-कम्ममिय-गब्भवक्क- गर्भावक्रान्तिकमनुष्याणाम् ? तियमणस्साणं? गोयमा! अपमत्तसंजय-सम्मदिदि- गौतम ? अप्रमत्तसंयत-सम्यग्पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्म- दृष्टि-पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिय-गब्भवक्कंतियमणस्साणं, भूमिज-गर्भावक्रान्तिकमनुष्याणां, नो नो पमत्तसंजय-सम्मदिट्टि-पज्ज- प्रमत्तसंयत-सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तकतग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय- संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज-गर्भावगब्भवक्कंतियमणुस्साणं। क्रान्तिकमनुष्याणाम् ।। जइ अपमत्तसंजय-सम्मदिदि-पज्ज- यदि अप्रमत्तसंयत-सम्यग्दृष्टितग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय- पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिजगब्भवक्कंतियमणस्साणं-कि गर्भावक्रान्तिकमनुष्याणां-किमृद्धिइड्ढिपत्त-अपमत्तसंजय-सम्मदिट्टि- प्राप्त-अप्रमत्तसंयत-सम्यग्दृष्टिपज्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्म- पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिजभूमिय-गब्भवक्कंतियमणुस्साणं ? गर्भावक्रान्तिकमनुष्याणाम् ? अनृद्धि अणिढिपत्त-अपमत्तसंजय-सम्म -प्राप्त-अप्रमत्तसंयत-सम्यग्दृष्टिदिदि-पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय- पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिजकम्मभूमिय-गब्भवक्कंतियमणु- गर्भावक्रान्तिकमनुष्याणाम् । स्साणं? गोयमा! इडिढपत्त-अपमत्तसंजय- गौतम ! ऋद्धिप्राप्त-अप्रमत्तसंयतसम्मदिदि-पज्जत्तग-संखेज्जवासा- सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्कउय-कम्मभूमिय-गब्भवक्कंतिय- कर्मभूमिज-गर्भावक्रान्तिकमनुष्याणां, मणुस्साणं, नो अणिढिपत्त-अप- नो अनृद्धिप्राप्त-अप्रमत्तसंयत-सम्यग्मत्तसंजय-सम्मदिट्टि-पज्जत्तग- दृष्टि-पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मसंखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भ- भूमिज-गर्भावक्रान्तिकमनुष्याणां मनःकंतियमणुस्साणं मणपज्जवनाणं पर्यवज्ञानं समुत्पद्यते । समुप्पज्जइ।। गौतम ! अप्रमत्तसंयत सम्यकदृष्टि-पर्याप्तक संख्यातवर्ष आयुष्यवाले कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के होता है, प्रमत्तसंयत-सम्यक्दृष्टि-पर्याप्तक-संख्यातवर्ष आयुष्यवाले कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के नहीं होता। यदि अप्रमत्तसंयत-सम्यक्दृष्टि-पर्याप्तकसंख्यातवर्ष आयुष्य वाले कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के होता है तो क्या ऋद्धिप्राप्त अप्रमत्तसंयत-सम्यक्दृष्टि-पर्याप्तक-संख्यातवर्ष आयुष्यवाले-कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के होता है अथवा अनृद्धिप्राप्त-अप्रमत्तसंयतसम्यक्दृष्टि-पर्याप्तक-संख्यातवर्ष आयुष्यवाले कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के ? गौतम ! ऋद्धिप्राप्त-अप्रमत्तसंयत-सम्यक्दृष्टि-पर्याप्तक संख्यातवर्ष आयुष्यवाले कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के होता है । अनृद्धिप्राप्त- अप्रमत्तसंयत- सम्यक्दष्टिपर्याप्तक-संख्यात वर्ष आयुष्यवाले कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के मनःपर्यवज्ञान उत्पन्न नहीं होता।" Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003616
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Nandi Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nandisutra
File Size9 MB
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