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________________ दूसरा प्रकरण : प्रत्यक्ष ज्ञान : सूत्र २१-२३ ओही भवपच्चइओ, अवधिर्भवप्रत्ययिको, १. भवप्रत्ययिक और गुणप्रत्ययिक के गुणपच्चइओ य वण्णिओ एसो। गुणप्रत्ययिकश्च वर्णितः एषः । भेद से अवधिज्ञान दो प्रकार का होता है। तस्स य बहू विगप्पा, तस्य च बहवः विकल्पाः, द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की अपेक्षा से दव्वे खेत्ते य काले य ॥१॥ द्रव्ये क्षेत्रे च काले च ॥ इसके बहुत विकल्प हो जाते हैं।" नेरइयदेवतित्थंकरा य, नैरयिकदेवतीर्थकराश्च, २. नैरयिक, देव और तीर्थंकर अबाह्य ओहिस्सबाहिरा हुंति । अवधेरबाह्या भवन्ति । अवधिज्ञान वाले होते हैं। वे सर्वतः देखते पासंति सव्वओ खलु, पश्यन्ति सर्वतः खलु, हैं। शेष (अन्तगत अवधिज्ञान वाले) मनुष्य सेसा देसेण पासंति ॥२॥ शेषा देशेन पश्यन्ति ॥ और तिथंच एक देश से देखते हैं " सेत्तं ओहिनाणं ॥ तदेतद् अवधिज्ञानम् । वह अवधिज्ञान है। मणपज्जवनाण-पदं मनःपर्यवज्ञान-पदम् । मनःपर्यवज्ञान-पद २३. से कि तं मणपज्जवनाणं? अथ किं तद् मनःपर्यवज्ञानम् ? २३. वह मनःपर्यवज्ञान क्या है ? मणपज्जवनाणे णं भंते ! कि मणु- मनःपर्यवज्ञानं भदन्त ! कि भंते ! मनःपर्यवज्ञान मनुष्यों के होता है स्साणं उप्पज्जइ? अमणुस्साणं? मनुष्याणामुत्पद्यते ? अमनुष्याणाम् ? अथवा अमनुष्यों के ? गोयमा! मणुस्साणं, नो अमणु- गौतम! मनुष्याणां, नो गौतम ! मनुष्यों के होता है, अमनुष्यों के स्साणं। अमनुष्याणाम्। नहीं होता। जइ मणुस्साणं-कि संमुच्छिम- यदि मनुष्याणां-कि सम्मूच्छिम- यदि मनुष्यों के होता है तो क्या संमूच्छिम मणुस्साणं? गब्भवक्कंतियमणु- मनुष्याणां ? गर्भावक्रान्तिकमनुष्या- मनुष्यों के होता है अथवा गर्भज मनुष्यों के ? स्साणं? ___णाम् ? गोयमा! नो समुच्छिममणुस्साणं, गौतम ! नो सम्मूच्छिममनुष्याणां गौतम ! संमूच्छिम मनुष्यों के नहीं गर्भज गब्भवक्कंतियमणुस्साणं । गर्भावक्रान्तिकमनुष्याणाम् । मनुष्यों के होता है। जइ गब्भवक्कंतियमणुस्साणं-कि यदि गर्भावक्रान्तिकमनुष्याणां यदि गर्भज मनुष्यों के होता है तो क्या कम्मभूमिय-गब्भवक्कंतियमणु- कि कर्मभूमिज-गर्भावक्रान्तिकमनुष्या- कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के होता है स्साणं? अकम्मभूमिय-गम्भवक्कं- णाम् ? अकर्मभूमिज-गर्भावक्रान्तिक- अथवा अकर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के तियमणुस्साणं? अंतरदीवग- मनुष्याणाम् ? अन्तर्वीपज-गर्भाव- अथवा अन्तर्वीप में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों गब्भवक्कंतियमणुस्साणं ? क्रान्तिकमनुष्याणाम् ? के ? गोयमा! कम्मभूमिय-गब्भवक्कं- गौतम! कर्मभूमिज-गर्भाव- गौतम ! कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज तियमणस्साणं, नो अकम्मभमिय- क्रान्तिकमनुष्याणां, नो अकर्मभूमिज- मनुष्यों के होता है। अकर्मभूमि में उत्पन्न गब्भवतियमणुस्साणं। नो गर्भावक्रान्तिकमनुष्याणाम्, नो अन्त- गर्भज मनुष्यों के और अन्तर्वीप में उत्पन्न अंतरदीवग-गब्भवक्कंतियमणु- पिज-गर्भावक्रांतिकमनुष्याणाम् । गर्भज मनुष्यों के नहीं होता। स्साणं। जइ कम्मभूमिय-गब्भवक्कंतिय- यदि कर्मभूमिज-गर्भावक्रान्तिक- यदि कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के मणस्साणं-कि संखेज्जवासाउय- मनुष्याणां-कि संख्येयवर्षायुष्क- होता है तो क्या संख्यात वर्ष आयुष्य वाले कम्मभूमिय-गब्भवक्कंतियमणु- कर्मभूमिज-गर्भावक्रान्तिकमनुष्या- कर्मभूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के होता है स्साणं? असंखेज्जवासाउय-कम्म- णाम् ? असंख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज- अथवा असंख्यात वर्ष आयुष्य वाले कर्मभूमि भमिय-गब्भवक्कतियमणुस्साणं? गर्भावक्रान्तिकमनुष्याणाम् ? में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के ? गोयमा! संखेज्जवासाउय-कम्म- गौतम ! संख्येयवर्षायुष्क-कर्म- गौतम ! संख्यात वर्ष आयुष्य वाले कर्मभूमिय-गब्भवक्कंतियमणुस्साणं, भूमिज-गर्भावक्रांतिकमनुष्याणां, नो भूमि में उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के होता है। नो असंखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय- असंख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज-गर्भाव- असंख्यात वर्ष आयुष्य वाले कर्मभूमि में गम्भवक्कंतियमणुस्साणं । क्रान्तिकमनुष्याणाम् । उत्पन्न गर्भज मनुष्यों के नहीं होता। Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003616
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Nandi Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nandisutra
File Size9 MB
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