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भूमिका वहां लिखा गया है कि 'दत्तावैशिक' एक वैश्या से प्रतारित होने पर भी उसे नहीं चाहता था। वैश्या ने कहा- तुम मुझे स्वीकार नहीं करोगे तो मैं अग्नि में जलकर मर जाऊंगी। दत्तावैशिक बोला-वैशिक शास्त्र में माया से यह भी बताया गया है।
वेश्या ने एक सुरङ्ग के मुंह पर अग्नि जलाई और उसमें प्रवेश करके सुरङ्गमार्ग से अपने घर आ गई। 'वैशिक शास्त्र' में यह सब बताया गया है, दत्तक के ऐसा कहने पर भी वातिकों ने उसे चिता में डाल दिया।
उक्त ग्रन्थों में घोटमुख, शकटभद्रिका, नागसूक्ष्म और कार्पासिक भी मीमांसनीय हैं, किंतु अभी तक इनके बारे में कोई विश्वस्त जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।
___ अङ्गप्रविष्ट में द्वादशाङ्गी का समावेश होता है। यह श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों परम्पराओं में समान है। अङ्गबाह्य की संख्या में दोनों परम्पराएं भिन्न हैं। दिगम्बर परम्परा में चौदह अङ्गबाह्य आगमों का उल्लेख मिलता है।'
प्रस्तुत आगम में अङ्गबाह्य आगमों की सूची बहुत लम्बी है। उनमें से अनेक आगम वर्तमान में अनुपलब्ध हैं। कुछ आगम अध्ययनसिद्ध विद्या वाले हैं। दिगम्बर परम्परा में उनका उल्लेख क्यों नहीं हुआ? यह एक प्रश्न है। अरुणोपपात, गरुडोपपात आदि अध्ययन सिद्ध विद्या वाले ग्रन्थ प्राचीन है। उनकी प्राचीनता व्यवहार सूत्र से प्रमाणित है ।२ व्यवहार के रचनाकार प्रथम भद्रबाह हैं। उस समय तक दिगम्बर और श्वेताम्बर जैसा जिन शासन में स्पष्ट भेद नहीं था। व्यवहार में स्वप्नभावना आदि आगमों का उल्लेख है उनका उल्लेख प्रस्तुत आगम में नहीं है। नंदी
व्यवहार क्षुल्लिकाविमानप्रविभक्ति
क्षुल्लिकाविमानप्रविभक्ति महतीविमानप्रविभक्ति
महतीविमानप्रविभक्ति अंगलिका
अङ्गचूलिका वर्गचूलिका
वर्गचूलिका व्याख्याचूलिका
व्याख्याचूलिका अरुणोपपात
अरुणोपपात वरुणोपपात
वरुणोपपात गरुडोपपात
गरुडोपपात धरणोपपात
धरणोपपात वैश्रवणोपपात
वैश्रवणोपपात वेलंधरोपपात
वेलंधरोपपात देवेन्द्रोपपात
उत्थानश्रुत उत्थानश्रुत
समुत्थानश्रुत समुत्थानश्रुत
देवेन्द्रोपपात नागपर्यापनिका
नागपर्यापनिका स्वप्नभावना चारणभावना तेजनिसर्ग आशीविषभावना
दृष्टिविषभावना व्याख्याग्रन्थ
नंदीसूत्र पर मुख्यत: चार व्याख्या ग्रन्थ उपलब्ध हैं१. चूर्णि २. हारिभद्रीया वृत्ति ३. मलयगिरीया वृत्ति ४. नंदीसूत्रवृत्ति टिप्पनकम्
१. कषायपाहुड़, पृ. २५
२. नवसुत्ताणि, ववहारो, सू. १०.३० से ३७
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