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नंदी
ज्ञानप्रवाद नामक पूर्व का प्रतिपाद्य विषय है इसलिए भगवती आदि आगम ग्रन्थों में अवग्रह आदि का स्वतन्त्र उल्लेख न होना आश्चर्य नहीं है।
पण्डित सुखलालजी ने ज्ञान विकास की सात भूमिकाओं का विन्यास किया है। उनके अनुसार दूसरी भूमिका प्राचीन नियुक्तियों की है, जिनका निर्माण विक्रम की दूसरी शताब्दी का हुआ जान पड़ता है।'
प्रस्तुत आगम में ज्ञानमीमांसा के कुछ नए सूत्र है, वह ज्ञान विकास की किसी अन्य परम्परा में नही हैं। इससे प्रतीत होता है कि देवधिगणी ने ज्ञान मीमांसा की विषयवस्तु का समाकलन ज्ञानप्रवाद पूर्व से किया है।
१. ज्ञानबिन्दु प्रकरणम्, परिचय पृ. ५
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