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समवायांग, समवाय 14 पाक्षिक सूत्र, दुवालसंगे गणिपिडगे अ) समवायांग वृत्ति पत्र 101 : प्रथमं पूर्व तस्य सर्व प्रवचनात पूर्व क्रियमाणत्वात (ब). स्थानांग वृत्ति पत्र- 10.1 . (स). नंदीसूत्र (विजयदानसूरि संशोधित) चूर्णि पृ. 111 अ. (अ) नंदी मलयगिरि वृत्ति पत्र 240 (ब) षट्खण्डागम धवला टीका वीरसेनाचार्य पृ. 114 विशेषावश्यकभाष्य गाथा - 554 अंतकृत्दशा, अ. 1, वर्ग-3 : चोदसपुव्वाई अहिज्जइ । वही पाणिनीय शिक्षा 41-42 सद्धर्मपुण्डरीक सूत्र 2/34 डॉ. नलिनाक्ष दत्त का देवनागरी संस्करण बौद्ध संस्कृत ग्रन्थ अभिसमयालंकार की टीका पू. 35 : सूत्रंगेयंव्याकरणं...द्वादशांगमिदं वचः। मूलाराधना 4-599 विजयोदया नंदी सूत्र - 43 विशेषावश्यकभाष्य गाथा - 552 तत्त्वार्थ भाष्य - 1.20 सर्वार्थ सिद्धि - 1.20 तत्त्वार्थ राजवार्तिक - 1.20 प्रभावक चरित्र, आर्यरक्षित प्रबन्ध, श्लोक 82-84 आवश्यक नियुक्ति गाथा - 773-774 सूत्रकृतांग चूर्णि. पत्र-4 रत्नकरंडश्रावकाचार, अधिकार-1 पृ. 71-73 तत्वार्थ भाष्य - 1.20 सुबोधा समाचारी, पृ. 31-34 (अ) वायणाविहि पृ.-64 (ब) जैन. सा. बृ. इ. भाग - [ प्रस्तावना पृ. 40.41 जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग । पृ. 30 गाथासहस्री श्लोक-297, पृ.-18 : पणयातीसं आगम। प्रभावक चरित्र, आर्यरक्षित प्रबंध समाचारी शतक पत्र-76
आवश्यक नियुक्ति गाथा - 77 विशेषावश्यक भाष्य गा. - 2295 निशीथ भाष्य गा. - 5947 स्थानांग सूत्र गा. - 5.2.428
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जैन आगम साहित्य : एक अनुशीलन / 69
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