________________
80.
84.
73. दशाश्रुतस्कंध चूर्णि, पत्र-2
निशीथ सूत्र - 19.17 75. निशीय भाष्य, 6148 : छेय सुयमुत्तम सुयं ।
आगम युग का जैन दर्शन पृ. 21-22 तत्त्वार्थ सूत्र - 1.20 श्रुतसागरीय वृत्ति निशीथचूर्णि : पोराणमद्धमागह भासानिययं हवइ सुत्तं । अ) समवयांग सूत्र : भगवं च णं अद्धमागहीए भासाए धम्ममाइक्खइ । ब) औपपातिक सूत्र : तएणं समणे भगवं महावीरे कूणिअस्स रण्णो मिंभिसार पुत्तस्स अद्धमागहीए भासाए भासइ....... सावियणं अद्धमागही भासा तेसिं सव्वेसिं अप्पणो समासाए परिमाणेणं परिणमइ ।
दशवकालिक हारिभद्रिया वृत्ति : बाल खी..... प्राकृते कृतः । 81. भगवती सूत्र - 5.4.20 : गोयमा देवाणं अद्धमागहीए..... विसिस्सइ
निशीथचूर्णि : मगहविसय भासाणिबद्धं अद्धमागहं अट्ठारस देसी भासाणिमयं वा अद्धमागहं आचार्य हरिभद्र कृत उपदेशपद : जाओ अ तम्मि समए दुक्कालो दोय दसय वरिसाणि। सव्वो साहु समूहोगओतओ जलहितीरसु। तदुवरमे सोपुणरवि पाडलिपुत्ते समागमो विहिया। संघे सुयविसया चिंता किं कस्स अत्थेति । जं जस्स आसि पासे, उदेस्सज्झयणमाइ संघडिउं। तं सव्वं एक्कारयं अंगाइं तहेव ठवियाइं। आवश्यक वृत्ति प्र. 698 : तेणचिंतियं भगीणीणं इढिदरिसेमित्ति सीहरवं विउव्वइ।
आवश्यक चूर्णि पृ. 187 86. जै. सा. बृ. इति. भा. 1, पृ. 82
Journal of the Bihar and Udisa research society, Vol. 13, Page No. 336. क. नंदी चूर्णि पृ. 8; ख. नंदी मलयगिरि वृत्ति पत्र-5 योगशास्त्र, प्र. 3, पृ. 207 : जिनवचनंचदुष्षमाकालवशात उच्छिन्नप्रायमितिमत्वा भगवद्भिर्नागार्जुनस्कंदिलाचार्य प्रभृतिभिः पुस्तकेषु न्यस्तम् । जैन आगम साहित्य मनन और मीमांसा, पृ. 38 : वलहिपुरम्मि नयरे देविढिपमुहेण समणसंघेण। पुत्थइ आगमलिहिओ नवसयअसीआओ वीराओ॥
अ. दशवैकालिक चूर्णि पृ.-21; ब. बृहत्कल्प नियुक्ति, उ. 73, गा. 147 ___ अ) दशवकालिक चूर्णिपृ. 21 : कालंपुण पुडुच्च चरणकरणट्ठा अवोच्छोत्तिनिमित्तं
च गेण्हमाणस्स पोत्थए संजमो भवइ ब) बृहत्कल्पभाष्य गा. 3821-3831 स) निशीथ भाष्य, उ. 12, गा. 4008 द) बृहत्कल्पनियुक्ति उ. 3, (अ) आवश्यक मलयगिरि वृत्ति पत्र - 100
(a) Uttaradhyayana Sutra, Preface, Page 50,51 94. मुनि पुण्यविजयजी द्वारा संपादित बृहत्कल्पसूत्र भाग 6 का आमुख पृ. 101 70 / सूत्रकृतांग सूत्र का दार्शनिक अध्ययन
85.
88.
89.
90.
01
92.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org